डेस्क:पूंजी बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) के कर्मचारियों ने कथित तौर पर सरकार को पत्र लिखकर ‘टॉक्सिक वर्क कल्चर ‘ पर चिंता जताई है। इसके बाद सेबी ने बुधवार को स्पष्ट किया कि इस तरह के दावे गलत हैं। कहा कि विरोध करने वाले जूनियर अधिकारियों को बाहरी तत्वों द्वारा गुमराह किया जा रहा है।
बता दें बुधवार को एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि लगभग 500 ग्रेड ए सेबी अधिकारियों ने पिछले महीने सरकार से होस्टाइल वर्क इन्वायरमेंट की शिकायत की थी। द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह मार्केट रेगुलेटर पर निर्भर करता है कि वह संस्थान के भीतर एचआर इश्युज को सुलझाए। ईटी को मिले 6 अगस्त के लेटर के मुताबिक, अधिकारियों ने कहा, ‘बैठकों में चिल्लाना, डांटना और सार्वजनिक रूप से अपमानित करना आम बात हो गई है।
सेबी ने बुधवार को एक विज्ञप्ति में कहा, “हमारा मानना है कि सेबी के जूनियर अधिकारी, जो बड़ी संख्या में थे, मूल रूप से एचआरए भत्ते के संबंध में पीड़ित थे, शायद बाहरी तत्वों द्वारा उन्हें गुमराह किया गया है।” सेबी ने कथित तौर पर बिजनेस डेली को बताया कि कर्मचारी मामलों को पहले ही बात किया जा चुका है। बाजार नियामक ने अखबार से कहा, ‘कर्मचारियों के साथ उनके मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत एक सतत प्रक्रिया है।
माधबी पुरी बुच पर कई आरोप
बता दें सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर कई आरोप लगे हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में कांग्रेस ने आईसीआईसीआई बैंक से बुच के मुआवजे पर सवाल उठाए थे, जहां उन्होंने 2017 में सेबी में शामिल होने से पहले काम किया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सेबी प्रमुख ने निजी बैंक में लाभ का पद हासिल किया और बैंक तथा उसकी सहायक कंपनियों से 16.8 करोड़ रुपये का लाभ उठाया।
आरोपों के बाद आईसीआईसीआई बैंक ने स्टॉक एक्सचेंज को एक नोटिस के माध्यम से एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कहा गया कि बैंक से बाहर निकलने के बाद बुच को किए गए भुगतान विशुद्ध रूप से सेवानिवृत्ति लाभ थे, न कि वेतन या कर्मचारी स्टॉक विकल्प।