नई दिल्ली:इस साल के अंत तक गगनयान मिशन के लॉन्च के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हालांकि इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गगनयान को लेकर हमें सावधानीपूर्वक कदम उठाना होगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) किसी भी जोखिम से बचने के लिए पूरी सावधानी बरत रहा है। उन्होंने नासा के एक मिशन का जिक्र किया जिसके तहत सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर जैसे दिग्गज अंतरिक्ष यात्री अभी भी अंतरिक्ष में ही फंसे हैं।
गगनयान भारत का पहला मानव मिशन है, जिसे हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है। एस सोमनाथ ने बोइंग स्टारलाइनर के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा, “हम नहीं चाहेंगे कि हमारे साथ भी वैसा हो जैसा बोइंग स्टारलाइनर के साथ हुआ। इसलिए हमें बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।”
बता दें कि नासा के बोइंग स्टारलाइनर ने लंबे इंतजार के बाद इसी साल जून में दो एस्ट्रोनॉट के साथ अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। हालांकि, यान के ‘थ्रस्टर’ में समस्या आने और हीलियम लीक होने के कारण वह अंतरिक्ष यात्रियों को धरती पर वापस लाने में नाकाम रहा। इस वजह से दोनों अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अब भी अंतरिक्ष में हैं और उन्हें अगले साल तक वहीं रहना होगा क्योंकि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने उनकी वापसी को बहुत जोखिमपूर्ण बताया है। भारत नासा के इस मिशन से सीख ले रहा है।
गगनयान के अलावा, एस सोमनाथ ने शुक्र ग्रह के अध्ययन पर भी जोर दिया और कहा कि “हमारी आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए मंगल और शुक्र ग्रह पर शोध जरूरी है।” वीनस ऑर्बिटर मिशन (VOM) भी हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूर किए गए चार महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट्स में से एक है, जिसे 1,236 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है। यह मिशन 2028 में लॉन्च किया जाएगा और इसे वर्तमान लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM3) से लॉन्च किया जाएगा।
सोमनाथ ने कहा कि रूस, चीन और जापान भी 2030 तक शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में भारत ने 2028 तक अपना शुक्र मिशन लॉन्च करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, “हालांकि शुक्र ग्रह निकट है, परंतु इसका वातावरण बेहद चुनौतीपूर्ण है।” एस सोमनाथ ने समझाया कि शुक्र का वातावरण पृथ्वी से 100 गुना अधिक दबाव वाला है, जिससे यह चुनौतीपूर्ण माना जाता है।
एस सोमनाथ ने अंतरिक्ष क्षेत्र में स्टार्टअप्स की बढ़ती रुचि की सराहना भी की और कहा, “आज हमने देखा कि कई स्टार्टअप्स अपने सैटेलाइट्स बना रहे हैं। यह एक बदलाव है जो अंतरिक्ष उद्योग में हो रहा है।” भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र दिन-प्रतिदिन प्रगति कर रहा है और आने वाले समय में और भी बड़ी सफलताएं हासिल करेगा।