डेस्क:हाल ही में इजरायल ने अपने दुश्मनों को खत्म करने के लिए सीमा पार जाकर कार्रवाई की। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे सकता है। इस सवाल का जवाब भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने बड़े ही मजेदार तरीके से दिया। उन्होंने कहा कि इजरायल जो कर रहा है भारत पहले ही उस तरह की कार्रवाई कर चुका है। उन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक का उदाहरण दिया।
भारतीय वायुसेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय रक्षा बलों के पास विदेशी जमीन पर दुश्मनों पर हमला करने की पूरी क्षमता है और भारत ने 2019 के बालाकोट हवाई हमले में ये कर दिखाया था। वायुसेना दिवस के मौके पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा, “हमारे पास दुश्मनों पर प्रहार करने की क्षमता है, जिसे हमने बालाकोट हमले के दौरान दिखाया था। लेकिन हम कहां और किसे निशाना बना सकते हैं, यह मैं अभी यहां तो नहीं बता सकता।”
बालाकोट हवाई हमला फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद किया गया था, जिसमें 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। इसके जवाब में भारतीय वायुसेना के मिराज जेट्स ने इजरायली स्पाइस 2000 बमों का इस्तेमाल कर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया था।
गौरतलब है कि इजरायल ने हाल ही में 27 सितंबर को हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को लेबनान में एयरस्ट्राइक के जरिए मार गिराया था। इजरायल ने बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जो भूमिगत बंकरों को भेद सकते हैं।
वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने जोर देकर कहा कि भारत को अपने हथियार प्रणालियों का स्वदेशी विकास करना होगा ताकि विदेशी हथियारों पर निर्भरता न रहे, क्योंकि बदलते अंतरराष्ट्रीय हितों के चलते यह एक कमजोर कड़ी बन सकता है। उन्होंने भारतीय निर्माताओं से हथियार उत्पादन बढ़ाने का आग्रह किया ताकि भविष्य के संघर्षों में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा, “आप बाहरी सप्लाई पर निर्भर नहीं रह सकते। युद्ध लड़ने के लिए आपके पास हथियार भारत में ही निर्मित होने चाहिए।”
एपी सिंह ने कहा, “अगर आपको युद्ध लड़ना है, तो आपके पास वो हथियार भारत में ही बनने चाहिए। आप इन्हें बाहर से खरीद कर और सप्लाई चैन पर निर्भर होकर काम नहीं कर सकते। यह जरूरी है कि हमारे पास ये हथियार भारत में बनें। हम इन्हें हमेशा के लिए स्टॉक नहीं कर सकते, इनकी एक समय सीमा होती है।” वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि लंबे समय तक हथियारों को स्टॉक करने से उनमें बर्बादी का खतरा होता है, इसलिए समय पर उत्पादन और उपयोग जरूरी है।