जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में जीतकर आए सात निर्दलीय विधायकों में से चार ने नेशनल कॉन्फ्रेंस को समर्थन देने का फैसला किया है। इसके बाद उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने बिना कांग्रेस की मदद के बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया है। हालांकि, कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है और सरकार में भी शामिल रहेगी। केंद्र शासित प्रदेश में बहुमत का आंकड़ा 46 है।
जम्मू-कश्मीर के नतीजों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन को 48 सीटें मिली थीं। इसमें से नेशनल कॉन्फ्रेंस को 42, कांग्रेस को छह सीटें थीं। अब चार विधायकों के साथ आने के बाद एनसी को अकेले दम पर बहुमत मिल गया है। वहीं, बीजेपी ने जम्मू रीजन में शानदार प्रदर्शन करते हुए जम्मू कश्मीर में 29 सीटें हासिल कीं। पीडीपी को तीन और जेपीसी को एक सीट पर विजयी मिली। वहीं, सात निर्दलीय विधायक चुनकर आए हैं। इसके अलावा, एक विधायक आम आदमी पार्टी का भी बना है।
जम्मू और कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हुए थे। पांच साल पहले राज्य की जगह केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए जम्मू कश्मीर में दस साल बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं। आखिरी बार 2014 में चुनाव हुए थे, जिसमें बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, बाद में गठबंधन कुछ सालों में ही टूट गया था। इस बार पहला फेज 18 सितंबर, दूसरा फेज 25 सितंबरऔर तीसरा फेज एक अक्टूबर को हुआ था, जबकि आठ अक्टूबर को हरियाणा के साथ नतीजों की घोषणा हुई।
विधायक दल के नेता बने उमर अब्दुल्ला
वहीं, उमर अब्दुल्ला को गुरुवार को सर्वसम्मति से नेशनल कॉन्फ्रेंस विधायक दल का नेता चुना गया। फारूक अब्दुल्ला ने कहा, “विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें सभी ने सर्वसम्मति से उमर अब्दुल्ला को अपना नेता चुना।” उन्होंने कहा कि सरकार गठन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को चुनाव पूर्व गठबंधन सहयोगियों की बैठक होगी। इससे पहले, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के सभी नवनिर्वाचित विधायकों ने पार्टी मुख्यालय नवा-ए-सुबह में अपने नेता का चुनाव करने के लिए बैठक की, जो जम्मू-कश्मीर विधानसभा में मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं। बैठक पार्टी अध्यक्ष और उमर के पिता फारूक अब्दुल्ला ने बुलाई थी।