नई दिल्ली:देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिन औपचारिक पीठ से एक भावुक संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मैंने उस वास्तविकता को स्वीकार कर लिया है कि मैं अब देश के शीर्ष न्यायाधीश के रूप में काम नहीं करूंगा। हालांकि उन्होंने कहा कि वे संतुष्ट हैं। चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को कार्यभार संभाला था। अब दो साल बाद वे रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं कल से न्याय नहीं कर पाऊंगा, लेकिन मैं संतुष्ट हूं।”
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रचूड़ ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा, “न्यायाधीशों का कार्य एक तीर्थयात्रा जैसा है, जिसमें हर दिन न्यायालय आकर सेवा का संकल्प लिया जाता है। हमारे कार्य का असर मामलों को बना या बिगाड़ सकता है।” अपने उत्तराधिकारी जस्टिस संजीव खन्ना की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वह न्यायालय को एक सक्षम नेतृत्व के हवाले करके जा रहे हैं।
पिछली शाम अपने रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल के साथ एक हल्के-फुल्के पल को याद करते हुए उन्होंने कहा, “जब मेरे रजिस्ट्रार ने मुझसे पूछा कि समारोह किस समय शुरू होना चाहिए, तो मैंने कहा कि दोपहर 2 बजे, यह सोचकर कि इससे हमें बहुत सारे लंबित काम निपटाने का मौका मिलेगा। लेकिन मैंने खुद से सोचा- क्या शुक्रवार दोपहर 2 बजे वास्तव में कोई यहां होगा? या मैं बस स्क्रीन पर खुद को देखता रहूंगा?”
उन्होंने जैन कहावत “मिच्छामी दुक्कड़म” का हवाला देते हुए कहा, “अगर मैंने कभी न्यायालय में किसी को ठेस पहुंचाई है, तो कृपया मुझे इसके लिए क्षमा करें।” मिच्छामी दुक्कड़म एक प्राचीन भारतीय प्राकृत भाषा का वाक्यांश है, जिसका अर्थ है, “जो भी बुरा किया गया है वह व्यर्थ हो जाए।” जैन धर्म में इसका इस्तेमाल कई मौकों पर किया जाता है।
चंद्रचूड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जिनमें संविधान पीठ द्वारा जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने की वैधता को बनाए रखना शामिल है। इस निर्णय के अंतर्गत न्यायालय ने सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का आदेश दिया और राज्य का दर्जा बहाल करने की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा करने की आवश्यकता पर बल दिया।
इसी प्रकार, एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में उन्होंने समलैंगिक विवाह को विशेष विवाह अधिनियम में शामिल करने से इनकार किया, लेकिन LGBTQ+ समुदाय के सम्मान और उनके साथ भेदभाव न होने के अधिकार की बात भी की। इसके साथ ही, जस्टिस चंद्रचूड़ ने विवादास्पद इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को निष्प्रभावी करते हुए इसमें अधिक पारदर्शिता की मांग की और भारतीय स्टेट बैंक को इस प्रकार के बॉन्ड जारी करने से रोक दिया।
जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में न्यायालय परिसर में कई सकारात्मक बदलाव भी किए गए, जैसे कि दिव्यांगों को सशक्त करने के लिए मिटी कैफे का उद्घाटन और महिला वकीलों के लिए विशेष बार रूम की स्थापना। नए प्रमुख न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस चंद्रचूड़ की तारीफ करते हुए कहा कि उन्होंने गरीबों और जरूरतमंदों के लिए जो किया है वह बेमिसाल है। उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ की समोसे के प्रति रुचि का मजेदार किस्सा भी सुनाया, कि हर बैठक में समोसे जरूर होते थे, हालांकि जस्टिस चंद्रचूड़ खुद उन्हें नहीं खाते थे।