नई दिल्ली:भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने मंगलवार को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को सर्वाइकल कैंसर रोधी वैक्सीन की मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग की मंजूरी दे दी। यह देश में विकसित भारत की पहली क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमावायरस वैक्सीन (QHPV) होगी। वैक्सीन के इस साल के अंत में लॉन्च होने की संभावना है। खुद सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने इसकी जानकारी दी।
अदार पूनावाला ने ट्वीट कर कहा, “पहली बार महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के इलाज के लिए एक भारतीय एचपीवी वैक्सीन होगी। यह (वैक्सीन) सस्ती और सुलभ दोनों होगी। हम इसे इस साल के अंत में लॉन्च करने के लिए उत्सुक हैं। हम आज स्वीकृति देने के लिए डीसीजीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय को धन्यवाद देते हैं।” बता दें कि एचपीवी वैक्सीन को डीसीजीआई की मंजूरी केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के बाद आई है।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी विभाग के सहयोग से फेज 2/3 क्लिनिकल ट्रायल पूरा होने के बाद इसकी शीघ्र उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सीरम में निदेशक (सरकारी और नियामक मामलों) प्रकाश कुमार सिंह ने डीसीजीआई को आवेदन कर क्यूएचपीवी के लिए मार्केटिंग मंजूरी मांगी थी।
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) ने भी टीके के क्लिनिकल ट्रायल से संबंधित डेटा की समीक्षा करने के बाद हाल में स्वीकृति प्रदान कर दी थी। समझा जाता है कि डीसीजीआई को दिए गए आवेदन में सिंह ने कहा है कि क्यूएचपीवी टीके सेरवावैक ने मजबूत एंटीबॉडी प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया है जो सभी लक्षित एचपीवी प्रकारों और सभी खुराक और आयु समूहों के आधार पर लगभग 1,000 गुना अधिक प्रभावी है।
आवेदन में, सिंह ने बताया था कि हर साल लाखों महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर के साथ-साथ कुछ अन्य कैंसर का पता चलता है। इसकी मृत्यु दर भी बहुत अधिक है। भारत में सर्वाइकल कैंसर 15 से 44 वर्ष आयु समूह की महिलाओं में दूसरा सर्वाधिक होने वाला कैंसर है।