डेस्क:महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस, एनसीपी और उद्धव सेना के गठजोड़ को करारी हार मिली है। नतीजा आए तीन दिन हो गए हैं, लेकिन अब तक महाविकास अघाड़ी के नेता इस हार को स्वीकार नहीं कर पाए हैं। संजय राउत तो लगातार ईवीएम पर सवाल उठा रहे हैं और उनका कहना है कि बैलेट पेपर से चुनाव कराने चाहिए। इस बीच शरद पवार की एनसीपी के सीनियर नेता जितेंद्र अव्हाड ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि हम अपनी हार के लिए कोई एक कारण नहीं मान सकते। यही नहीं अव्हाड ने कहा कि मुझे तो यकीन नहीं होता कि लड़की बहिन योजना का इतना असर हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘कोई एक कारण सामने नहीं आ रहा है। चुनाव के बाद कुछ बदला नहीं था। बेरोजगारी और महंगाई में इजाफा हुआ है। लड़कि बहिन योजना का कोई इतना असर नहीं होता है। जैसे चंद्रपुर की सीट आप देखेंगे तो वह हमने 2 लाख 40 हजार के अंतर से जीती थी। अब आप देखिए कि वह 2 लाख 40 हजार तो गए ही उसके ऊपर 1 लाख वोट और कैसे चले गए। ऐसा नहीं हो सकता। यहां तक कि जीते हुए विधायकों ने भी कहा कि साहब हम जीतकर आए हैं, लेकिन कहीं न कहीं ईवीएम का बड़ा मसला है। इसके खिलाफ पूरे राज्य में आंदोलन खड़ा हो सकता है। अभी कई गांव खड़े हुए हैं। वहां लोगों का कहना है कि जब हमने वोट ही नहीं दिया तो आए कहां से।’
अव्हाड ने कहा, ‘एक परिवार में 32 वोट हैं। उन सभी लोगों ने अपने घर के कैंडिडेट को वोट दिया है। फिर भी उसे जीरो वोट दिखाया है। ऐसा कैसे हो सकता है?’ इससे पहले संजय राउत ने मांग उठाई थी कि दोबारा चुनाव होने चाहिए और वोटिंग बैलेट पेपर से कराई जाए। राउत ने कहा, ‘ईवीएम को लेकर हमें करीब 450 शिकायतें मिलीं। बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद इन मामलों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हम कैसे कह सकते हैं कि ये चुनाव निष्पक्ष तरीके से हुए? इसलिए मेरी मांग है कि नतीजों को रद्द किया जाए और दोबारा चुनाव मत पत्रों के जरिए कराए जाएं।’
संजय राउत बोले- कैंडिडेट के परिवार में 65 वोट, पर मिले सिर्फ 4
उन्होंने कहा कि नासिक में एक उम्मीदवार को कथित तौर पर केवल चार वोट मिले, जबकि उसके परिवार के 65 वोट थे। उन्होंने कहा कि डोंबिवली में ईवीएम की गिनती में विसंगतियां पाई गईं और चुनाव अधिकारियों ने आपत्तियों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। शिवसेना यूबीटी के नेता ने कुछ उम्मीदवारों की भारी जीत की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘उन्होंने ऐसा कौन सा क्रांतिकारी काम किया जो उन्हें 1.5 लाख से अधिक वोट मिले? यहां तक कि हाल में पार्टी बदलने वाले नेता भी विधायक बन गए। इससे संदेह पैदा होता है। पहली बार शरद पवार ने ईवीएम पर संदेह व्यक्त किया है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।’’