युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी सुशिष्य मुनि श्री अर्हत् कुमार जी के सान्निध्य में तेरापंथ युवक परिषद् बैंगलूरु के तत्वावधान समय प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया! जीवन स्वर्ग है और उसे निखारना है तो उसे समय के आंच पर तपना पड़ेगा! व्यक्ति को यदि सही तरीके से जीना है तो उसे समय प्रबंधन अपने जीवन में लागू करना होगा! समय का सार्थक उपयोग करने वाला कभी असफल नहीं होता बल्कि सफलता के एवरेस्ट पर पहुंचकर विजय ध्वज लहराकर एक नया इतिहास का सृजन करता है! हम वक्त की कद्र करेगें तो वक्त हमारी करेगा! हम टाइम को पास करेगें तो टाइम आने पर वो हमें पास करेगा! समय के पांव नहीं होते, समय के पंख होते है! आप समय का मूल्यांकन करोगे तो समय भी हमारा मूल्यांकन करेगा!सफल जीवन की आधारशिला है- समय प्रबंधन! आज व्यक्ति के जीवन में टाइम मैनेजमेंट नहीं है इसलिए वो अस्त- व्यस्त है और इसका प्रभाव पड़ता है आपके जीवन पर और स्वास्थ्य पर! हर व्यक्ति के जीवन में अवसर आते है जो उनको पहचान लेते है वो अपनी जिंदगी को स्वर्णिम बना लेते हैं! दुनिया का सबसे मूल्यवान धन है समय और यह धन जिसके पास है वो धनवान है! जीवनशैली को व्यवस्थित रखें! समय का नियोजन व संयोजन करे! समय का सार्थक उपयोग कर जीवन को सार्थकता प्रदान करें! सहयोगी संत मुनि श्री भरत कुमार ने कहा समय प्रबंधन के सूत्र को समझने के बाद सच्चे अर्थों में समय का सही प्रबंधन तब होता है, जब आपको समय का प्रबंधन करना ही न पड़े! वह स्वयं होता चला जाता है! सब कुछ इस तरह होता चला जाए कि हमें यह आभास ही न रहे कि हम समय के साथ चल रहे है! इसके विपरीत कुछ ऐसा होता रहे कि समय ही हमारे पिछे – पिछे