11 और 12 अगस्त सावन महीने की पूर्णिमा है। इस बार पंचांग भेद और भद्रा की वजह से रक्षा बंधन की तारीख और रक्षा सूत्र बांधने के मुहूर्त को लेकर मतभेद भी हैं। पूर्णिमा को भी पर्व की तरह ही माना जाता है। इस दिन पूजा पाठ जैसे शुभ काम दिनभर कर सकते हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार सावन पूर्णिमा पर शिव जी का प्रिय महीना खत्म हो जाएगा। इस तिथि के बाद से यानी 12 अगस्त से ही नया हिन्दी माह भाद्रपद शुरू होगा। जानिए इससे पहले सावन पूर्णिमा पर शिव पूजा के साथ ही और कौन-कौन शुभ काम सकते हैं…
- पूर्णिमा पर स्नान दान के साथ ही तीर्थ दर्शन की परंपरा है। अगर किसी नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिलाकर स्नान करें और पवित्र नदियों का ध्यान करें।
- स्नान के बाद सूर्य देव को तांबे के लोटे से अर्घ्य अर्पित करें। इस दौरान सूर्य मंत्रों का जप करते रहना चाहिए। सूर्य मंत्र जैसे ऊँ सूर्याय नम:, ऊँ खगाय नम:, ऊँ भास्कराय नम: आदि।
- घर के मंदिर में अपने इष्टदेव के सामने दीपक जलाएं। पूजा और रक्षा सूत्र अर्पित करें। भगवान से कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करें।
- इस दिन गणेश पूजन के बाद शिव जी का विशेष अभिषेक जरूर करना चाहिए। किसी मंदिर में तांबे के लोटे से ऊँ नम: शिवाय मंत्र जप करते हुए जल चढ़ाएं। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, दूर्वा, आंकड़े के फूल और शमी के पत्ते भी अर्पित करें। चंदन से तिलक करें और दीपक जलाकर पूजा करें।
- पूर्णिमा पर पूजा पाठ के साथ ही ध्यान भी जरूर करना चाहिए। ध्यान करने से मन शांत होता है और नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है।
- सावन पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ें और सुनें। भगवान मौसमी फलों के साथ हलवे का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद जरूर लें।
- किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए धन का दान करें। गायों की देखभाल करें। आप चाहें तो गायों को रोटी भी दे सकते हैं।
- अभी बारिश का समय है और इन दिनों में पौधे जल्दी पनप जाते हैं। पूर्णिमा पर किसी सार्वजनिक मंदिर में बड़े छायादार या फलदार वृक्ष का पौधा लगाएं और बड़े होने तक उसकी देखभाल करने का संकल्प लें।
- रक्षा बंधन पर जरूरतमंद लोगों को फल और मिठाई का दान करें। अपनी शक्ति के अनुसार धन का दान भी जरूर करें।
- गुरुवार और पूर्णिमा के योग में गुरु ग्रह के लिए विशेष पूजा जरूर करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है। इसलिए शिवलिंग पर चने की दाल चढ़ाएं और बेसन के लड्डू का भोग चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी का दक्षिणावर्ती शंख से अभिषेक करें। इसके लिए केसर मिश्रित दूध का उपयोग करना चाहिए। बाल गोपाल को माखन मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं।