रविवार, 14 अगस्त को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया है, इसे कजरी तीज कहा जाता है। ये तिथि महिलाओं के लिए बहुत खास है, क्योंकि इस दिन वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और प्रेम बनाए रखने की कामना से व्रत-उपवास किया जाता है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक तीज यानी तृतीया तिथि की स्वामी देवी पार्वती हैं। इस तिथि पर देवी पार्वती की पूजा करने की परंपरा है। अगर पति-पत्नी एक साथ इस दिन देवी पार्वती और शिव जी की विशेष पूजा करते हैं तो उनके वैवाहिक जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
देवी पार्वती को चढ़ाना चाहिए सुहाग का सामान
कजरी तीज पर पूजा में देवी पार्वती को सुहाग का सामना जरूर चढ़ाना चाहिए। जैसे लाल चुनरी, लाल चूड़ियां, कुमकुम या सिंदूर, पायल और अन्य आभूषण। देवी मां को लाल फूल चढ़ाएं। फूलों से श्रृंगार करें। इत्र लगाएं। दूर्वा अर्पित करें।
देवी मां के साथ ही शिव जी की भी पूजा करनी चाहिए। शिवलिंग और देवी पार्वती की प्रतिमा का अभिषेक करें। अभिषेक पहले पानी से फिर पंचामृत और फिर जल से करना चाहिए। शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाएं, बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल, आंकड़ा आदि चीजें अर्पित करें।
ध्यान रखें इन देवी-देवताओं से पहले श्री गणेश की पूजा जरूर करें। किसी भी पूजा-पाठ की शुरुआत गणेश जी की पूजा के साथ करनी चाहिए। गणेश जी को स्नान कराएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। दूर्वा अर्पित करें।
गणेश जी, देवी पार्वती और शिव जी की पूजा में मिठाई का भोग लगाएं। मौसमी फल अर्पित करें और धूप-दीप जलाकर आरती करें। पूजा में गणेश जी के मंत्र श्री गणेशाय नम: का जप करें। देवी पार्वती के मंत्र ऊँ गौर्ये नम: का जप करें। शिव जी के मंत्र ऊँ नम: शिवाय का जप करें। मंत्र जप की संख्या अपनी श्रद्धा अनुसार तय कर सकते हैं।
कजरी तीज सुहाग का सामान दान जरूर करें
कजरी तीज पर जरूरतमंद महिलाओं को सुहाग का सामान जरूर दान करना चाहिए। देवी पूजा में चढ़ाई गई चीजें, पूजा के बाद किसी महिला को दान कर सकते हैं। किसी मंदिर में पूजन सामग्री भेंट करें। शिव जी के सामने दीपक जलाने के लिए तेल का दान भी कर सकते हैं।