मुंबई: अनंत श्री विभूषित महामंडलेश्वर स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वतीजी महाराज, श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सानिध्य में ज्ञानयज्ञ पूर्णाहुति, संत सम्मेलन का आयोजन 07 दिसंबर 2022, बुधवार, सुबह 9.30 से 12.30 तक स्वामी गम्भीरानन्द आश्रम द्वारा भिवंडी, महाराष्ट्र में किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंतर्गत सार्वजनिक भंडारा 12.30 से 2.30 बजे तक आयोजित किया जाएगा। इस अनूठे महोत्सव में देश भर से महामंडलेश्वर एवं विद्वान संतवृंद अपनी सहभागिता देंगे।
इसके साथ ही सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु विशेष कार्यक्रमों की एक श्रृंखला जिसके तहत प्रेमपुरी आश्रम निर्वाण महोत्सव 8 दिसंबर 2022, मुम्बई, अखंड वेदांत सम्मेलन 10 से 12 दिसंबर 2022, अखंड धाम, इंदौर, विश्राल संत सम्मेलन 13 से 14 दिसंबर 2022, चारधाम मंदिर, उज्जैन, श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ 16 दिसंबर से 23 दिसंबर 2022 तक, उत्तर भारतीय संघ, मीरा रोड मुंबई, चिदध्यानम आश्रम वार्षिकोत्सव 24 दिसंबर 2022 से 01 जनवरी 2023 तक श्री हरिहर सेवा समिति काशीमीरा मुंबई, श्री शिव महापुराण कथा 4 जनवरी से 07 जनवरी 2023, काशी, श्रीमद देवी भागवत 22 जनवरी से 30 जनवरी 2023, गुना, मध्य प्रदेश में स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज के मार्गदर्शन में विविध कार्यक्रमों का विधिवत क्रियान्वयन किया जाएगा ।
स्वामी चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने इस मौके पर महोत्सव के सभी कार्यक्रमों व् चिदध्यानम आश्रम वार्षिकोत्सव के बारे में बताया कि हम प्रत्येक वर्ष मुंबई के सबसे बड़े वार्षिकोत्सव का आयोजन करते हैं जिसमें देशभर से संत, ऋषि आदि सम्मिलित होते हैं। हमने क्रिसमस के समय आश्रम का वार्षिकोत्सव मनाना आरम्भ किया… परिणाम ये हुआ कि क्रिसमस पर जहाँ भीड़ रहती थी, अब चार पाँच लोग रह गए और कथा में ढाई हज़ार से अधिक लोगों की भीड़ होती है। इसके अतिरिक्त घर वापसी (वैदिक पद्धति से धर्मांतरण) के इच्छुक अनेकों मुस्लिमों व ईसाइयों को खुले हृदय से सनातन धर्म में शामिल किया।
स्वामी जी ने आगे कहा, “सनातन धर्म के मूल तत्व को जन-जन तक पहुंचाया जाए, जिससे गौरवशाली सनातन संस्कृति का ज्ञान आने वाली पीढ़ी को भी प्राप्त हो व आज के इस भौतिकवादी युग में युवा पीढ़ी का आध्यात्मिक विकास हो, इन उद्देश्यों की पूर्ति हेतु हम अनेकों वर्षों से तत्परता से कार्य कर रहे हैं जिसके फलस्वरूप आज लोग अध्यात्म व् हमारे सनातन धर्म को लेकर अधिक मुखर व् जागरूक हुए हैं।”
ग़ौरतलब है, मात्र 11 वर्ष की आयु में अपने घर को छोड़ स्वामी चिदम्बरानन्द गुरु की शरण में आये और 05 वर्ष निरंतर सेवा, साधना व् स्वाध्याय के बाद उन्होंने अकेले ही पूरे भारत में सनातन धर्म व् संस्कृति के प्रचार-प्रसार का संकल्प लिया और इस दिशा में आगे बढ़े व वैश्विक स्तर पर अमेरिका और यूरोप में भी स्वामी जी ने भारी मात्रा में लोगों को सनातन धर्म से जोड़ा।