पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन रुक्मिणी अष्टमी का व्रत रखा जाता है। इस दिन देवी रुक्मिणी के साथ भगवान कृष्ण की पूजा विधि विधान से की जाती है। मान्यता है कि द्वापर युग में विदर्भ नरेश भीष्मक के घर पर देवी रुक्मिणी का जन्म हुआ था। देवी रुक्मिणी तो मां लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है। जानिए रुक्मिणी अष्टमी व्रत का शुभ मुहूर्त, तिथि और पूजा विधि।
रुक्मिणी अष्टमी 2022 तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 16 दिसंबर 2022 को सुबह 01 बजकर 39 मिनट से हो शुरू हो रही है जो अगले दिन 17 दिसंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 02 मिनट पर समाप्त हो रही है।
अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
आयुष्मान योग- 16 दिसंबर सुबह 07 बजकर 46 मिनट से 17 दिसंबर सुबह 07 बजकर 34 मिनट तक
रुक्मिणी अष्टमी 2022 पूजा विधि
- इस दिन सूर्योदय में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ सुथरे वस्त्र धारण कर लें।
- भगवान कृष्ण और रुक्मिणी का ध्यान करें। इसके साथ की केला, तुलसी और पीपल में जल अर्पित करें। क्योंकि इन तीनों में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का वास होता है।
- अब एक चौकी में लाल या पीला रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश, श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
- सबसे पहले भगवान गणेश का पूजा करें। इसके बाद श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी की विधिवत पूजा करें।
- श्री कृष्ण और देवी रुक्मिणी को फूल, माला, सिंदूर, रोली, कुमकुम, नैवेद्य, अक्षत, पीला चंदन , पान सुपारी, लौंग, एक सिक्का, छोटी इलायची आदि अर्पित करें।
- भगवान कृष्ण को पीले और मां रुक्मिणी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करें। इसके साथ ही सोलह श्रृंगार अर्पित करें।
- भोग के रूप में खीर, मिठाई आदि चढ़ाएं और जल दें।
- घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत चालीसा, मंत्र के बाद आरती कर लें।
- अंत में भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
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