मुंबई : देश की आर्थिक राजधानी मुंबई ने पर्यावरण संरक्षण के मामले में भी विश्व स्तर पर झंडा गाड़ दिया है। उसे संयुक्त राष्ट्र ने 2021 का ‘ट्री सिटी आफ द वर्ल्ड’ यानी ‘वृक्षनगरी’ घोषित किया है। मुंबई सरकारी एवं गैरसरकारी क्षेत्रों में वृक्षों के संरक्षण एवं रखरखाव में अव्वल रहा है। पिछले सप्ताह अरबोर डे फाउंडेशन के सीईओ डैन लैंब ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के उद्यान विभाग को यह खुशखबरी देते हुए बताया कि मुंबई को 2021 का ट्री सिटी आफ द वर्ल्ड होने का सम्मान प्राप्त हुआ है।
यह सम्मान मिलने के बाद राज्य के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी इस उपलब्धि के लिए बीएमसी अधिकारियों की पीठ थपथपाई। उन्होंने महानगरपालिका आयुक्त इकबाल सिंह चहल एवं उद्यान अधीक्षक जीतेंद्र परदेशी को अरबोर डे फाउंडेशन द्वारा प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रति भेंटकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर उद्यान अधीक्षक जीतेंद्र परदेशी ने बताया कि मुंबई न सिर्फ पौधारोपण में आगे है, बल्कि उन्हें संरक्षित करने में भी आगे है। आवासीय क्षेत्रों से लेकर सामुदायिक वनीकरण तक में मुंबई योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ता है। इसके लिए उसने एक वृक्ष प्राधिकरण बना रखा है। इसी प्राधिकरण की देखरेख में पौधारोपण एवं उनका रखरखाव होता है।
मुंबई की बहुमंजिला आवासीय संस्थाओं में लगे वृक्षों को काटने या उनकी छंटाई करने संबंधी नियम काफी सख्त हैं। इसके कारण कोई इन वृक्षों की छंटाई करने का साहस नहीं कर पाता। हर साल बरसात से पहले बीएमसी का उद्यान विभाग खुद ही सभी आवासीय संस्थाओं में अपना विशेष वाहन भेजकर वृक्षों की छंटाई करवाता है। बीएमसी के प्रवक्ता गणेश पुराणिक के अनुसार, यही कारण है कि मुंबई में कोविड लहर शुरू होने से पहले वृक्षों की आधिकारिक संख्या 30 लाख के करीब थी, जबकि पिछले दो वर्षों में हुआ पौधारोपण इससे अलग है।
मुंबई को वृक्षनगरी की पहचान दिलाने में बहुत बड़ी भूमिका संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, आरे कालोनी एवं मुंबई फिल्म सिटी की भी है। इन तीनों को मिलाकर मुंबई में करीब 110 वर्ग किलोमीटर का हरित क्षेत्र मौजूद है। मुंबई जैसे महानगर के बीच राष्ट्रीय उद्यान का होना पर्यटकों के लिए आश्चर्य का विषय होता है।
मुंबई के आवासीय एवं सार्वजनिक क्षेत्रों में मौजूद लाखों वृक्षों की कटाई-छंटाई का काम हर साल बारिश से पहले कर दिया जाता है, क्योंकि यहां बरसात भी करीब पांच महीने चलती है। इस कारण वृक्ष फिर हरे-भरे हो जाते हैं। बरसात से पहले वृक्षों की छंटाई से निकली ज्यादातर लकड़ी का उपयोग मुंबई के श्मशानों में शवदाह के लिए किया जाता है। इसका मानवीय पक्ष यह है कि ये लकड़ियां बृहन्मुंबई महानगरपालिका की ओर से नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। यही कारण है कि पिछले वर्ष कोविड के दौरान देश के अनेक हिस्सों में जहां शवों को नदियों में बहाने और गाड़ने की खबरें आती रहीं, वहीं महामारी से सर्वाधिक प्रभावित होने के बावजूद मुंबई में शवदाह सुगमता से होता रहा। इसके अलावा छंटाई किए गए वृक्षों की पत्तियों से खाद बनाई जाती है। इसका उपयोग मुंबई के ही उद्यानों में किया जाता है।