हर इंसान की व्यक्ति में कोई ग्रह नकारात्मक तो कोई ग्रह सकारात्मक स्थित होता है और नकरात्मक ग्रह का अशुभ प्रभाव व्यक्ति को झेलना पड़ता है। लेकिन इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए रत्नों का वर्णन मिलता है। यहां हम बात करने जा रहे हैं पुखराज रत्न के बारे में, जिसका संबंध गुरु ग्रह से है। गुरु ग्रह को देवताओं का गुरु कहा जाता है। साथ ही गुरु ग्रह समृद्धि और वृद्धि के कारक माने जाते हैं। आइए जानते हैं पुखराज पहनने के लाभ और इसको धारण करने की विधि…
ऐसा होता है पुखराज
बाजार में सबसे अच्छा पुखराज सीलोनी होता है। लेकिन यह थोड़ा मंहगा होता है। वहीं जो बैंकॉक का पुखराज होता है वह सीलोनी से सस्ता होता है। पुखराज को संस्कृत में पुष्पराज, गुरु रत्न, गुजराती में पीलूराज, कन्नड़ में पुष्पराग, हिन्दी में पुखराज और अंग्रेजी में यलोसफायर कहते हैं। पुखराज धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं से निजात मिलती है। साथ ही जो लोग ज्योतिष, आध्यात्म या शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, वो लोग पुखराज धारण कर सकते हैं।
ये लोग कर सकते हैं धारण
- जन्मकुंडली में गुरु ग्रह उच्च के या शुभ स्थित हों वो लोग पुखराज पहन सकते हैं।
- साथ ही मीन और धनु राशि और लग्न वाले लोग पुखराज धारण कर सकते हैं। क्योंकि इन दोनों राशियों के स्वामी गुरु बृहस्पति ही हैं।
- तुला लग्न वाले जातक पुखराज पहन सकते हैं, क्योंकि गुरु आपके पंचम भाव के स्वामी होते हैं। इसलिए आपको पुखराज पहनना लाभप्रद सिद्ध हो सकता है।
- अगर कुंडली में गुरु ग्रह नीच के स्थित हों तो पुखराज धारण नहीं करना चाहिए।
- पुखराज के साथ हीरा भी नहीं धारण करना चाहिए। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
इस विधि से करें धारण
पुखराज को बाजार से सवा 7 से सवा 8 रत्ती का खरीदना चाहिए। साथ ही पुखराज को सोने या चांदी के धातु में जड़वाकर धारण कर सकते हैं। गुरुवार के दिन अंगूठी को धारण करना चाहिए। साथ ही पहनने से पहले अंगूठी को गंगा जल या दूध से शुद्ध कर लें। इसके बाद अंगूठी को दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण कर लें। धारण करने के बाद गुरु ग्रह से संबंधित दान किसी ब्राह्राण को दें।