ज्योतिष अनुसार रत्नों के अंदर ग्रह के अशुभ प्रभाव को दूर करने की शक्ति होती है। रत्न विज्ञान में 9 रत्न और 84 उपरत्नों का वर्णन मिलता है। यहां हम आज बात करने जा रहे हैं माणिक्य रत्न के बारे में, जिसका संबंध सूर्य देव से होता है। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होते हैं उनकी कुंडली में बाकी ग्रह बलवान होकर भी बहुत लाभ नहीं दे पाते हैं। इसलिए सूर्य को प्रभावशाली बनाने के लिए ज्योतिषी माणिक्य रत्न धारण करने की सलाह देते हैं। आइए जानते हैं ये सूर्य धारण करने के लाभ और पहनने की विधि…
ये लोग पहन सकते हैं माणिक्य
- मेष, सिंह और धनु लग्न के लोग माणिक्य पहन सकते हैं।
- अगर धन भाव ग्याहरवां भाव, दशम भाव, नवम भाव, पंचम भाव, एकादश भाव में सूर्य उच्च के स्थित हैं तो भी माणिक्य धारण कर सकते हैं।
- अगर जातक को ह्रदय, हड्डी और नेत्र रोग है तो भी वह माणिक्य पहन सकता है।
- जन्मकुंडली में नीच के सूर्य स्थित होने पर माणिक्य धारण नहीं करना चाहिए।
- माणिक्य के साथ नीलम और गोमेद पहनने से बचना चाहिए। अन्यथा नुकसान हो सकता है।
माणिक्य पहनने के लाभ
वैदिक ज्योतिष मुताबिक माणिक्य पहनकर सूर्य उपासना करने से सूर्य की पूजा का फल कई गुण बढ जाता है। वहीं माणिक्य धारण करने से व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता है। साथ ही साथ ही माणिक्य धारण करने से सूर्य प्रभावित रोग( ह्रदय रोग, आंख के रोग, पित्त विकार) रोगों से मुक्ति मिलती है। जो लोग प्रशासनिक लाइन और राजनीति से जुड़े हुए हैं, वो लोग भी माणिक्य पहन सकते हैं। साथ ही जिन लोगों के पिता और अधिकारियों के साथ तालमेल नहीं रहता हो वो लोग भी कुंडली का विश्लेषण कराकर माणिक्य पहन सकते हैं।
इस विधि से धारण करें माणिक्य
माणिक्य रत्न को बाजार से कम से कम सवा 7 से सवा 8 रत्ती का धारण करना चाहिए। साथ ही माणिक्य को तांबे या सोने के धातु में जड़वाकर पहनना चाहिए। माणिक्य रत्न को सूर्योदय होने पर स्नान करने के बाद धारण करें।माणिक्य धारण करने से पहले अंगूठी को गाय के दूध और गंगाजल से शुद्ध कर लें। इसके बाद अंगूठी को धारण कर लें और फिर सूर्य देव से संबंधित दान निकालकर किसी मंदिर के पुजारी को दे आएं।