नई दिल्ली:आईपीएल के पूर्व कमिश्नर और बीसीसीआई के पूर्व बॉस ललित मोदी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सोशल मीडिया पर भारतीय न्यायपालिका पर की गई उनकी टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट खासा नाराज है। शीर्ष अदालत ने उन्हें तुरंत बिना शर्त माफी मांगने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने कहा, “ललित मोदी कानून और संस्था से ऊपर नहीं हैं।” न्यायाधीशों ने ललित मोदी की तरफ से की गई टिप्पणियों के बाद यह फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने आईपीएल के पूर्व आयुक्त ललित को सोशल मीडिया और सभी प्रमुख समाचार पत्रों पर बिना शर्त माफी मांगने का निर्देश दिया।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ललित मोदी को पहले हलफनामा देना होगा। जिसमें इस बात का जिक्र को हो कि वह भविष्य में इस तरह का कोई पोस्ट नहीं करेंगे जो किसी भी तरह से भारतीय न्यायपालिका की छवि पर सवाल खड़े करते हों।
अभिषेक मनु सिंघवी लड़ रहे ललित मोदी का केस
अदालत में मोदी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने किया, जिन्होंने अदालत को सूचित किया कि 30 मार्च को दो ट्वीट किए गए थे। पहले को तुरंत वापस ले लिया गया और दूसरा स्पष्टीकरण के रूप में आया। उक्त ट्वीट्स को देखने के बाद, पीठ ने कहा, “स्पष्टीकरण भी भारतीय न्यायपालिका की छवि को धूमिल करेगा।” अदालत 24 अप्रैल को मोदी द्वारा दायर किए जाने वाले जवाब पर विचार करने के लिए सहमत हो गई।
पहले भी आलोचना का किया सामना
यह पहली बार नहीं है जब मोदी को अपने सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर अदालतों से आलोचना का सामना करना पड़ा है। जनवरी में, शीर्ष अदालत ने आईपीएल के पूर्व आयुक्त से अपनी फैमिली मैटर को लेकर सोशल मीडिया पर आ गए है। उनका 2019 में अपने पिता केके मोदी के निधन के बाद से पारिवारिक झगड़ा चल रहा है। इन पोस्ट में मोदी अपनी मां और बहन की तरफ से पेश होने वाले वरिष्ठ वकीलों पर टिप्पणी की थी।