भीलवाड़ा :आज साधना सदन स्कूल शास्त्री नगर में तेरापंथ धर्म संघ के ग्यारहवें अधिशास्ता आचार्य श्री महाश्रमण का जन्मोत्सव, पट्टोत्सव एवं दीक्षा दिवस के उपलक्ष में महाश्रमणोत्सु मंगलम अभ्यर्थना कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस अवसर पर शासन श्री मुनि हर्षलाल जी ने फरमाया कि आचार्य महाश्रमण तेरापंथ धर्म संघ के 11वें अधिशास्ता हैं। निस्पृहता, निर्लिप्ता, निर्विकारता , निर्हंकारिता से आपका आंतरिक व्यक्तित्व महात्म्य को प्राप्त हुआ है। तेजस्विता , क्षमाशीलता, साधना ,शासना तथा सिद्धांतप्रियता और वैचारिक ओदार्य के आप दुर्लभ समवाय हैं। आपने आगे कहा *आचार्य महाश्रमण भारतवर्ष की शाश्वत संत परंपरा एवं वैचारिक परंपरा के एक ऐसे अनूठे संत हैं जिनका व्यक्तित्व कर्तत्व अंतः वंदनीय है। आप एक धर्म संप्रदाय के आचार्य हैं किंतु आपके विचार संप्रदायातीत है। अहिंसा और नैतिकता की प्रतिष्ठापना के लिए आप सतत संलग्न है।
मुनि यशवंत कुमार जी ने अपने उद्बोधन में कहा आचार्य महाश्रमण जी का जीवन धैर्य, गंभीरता, विनम्रता,समर्पण का समवाय है। आपने मानव जाति के उद्धार के लिए प्रलंभ अहिंसा यात्रा की। तीन देश 23 राज्यों को अपने चरण कमलों से पवित्र किया। आप महातपस्वी संबोधन के अनूपमेय प्रतिमान रूप है।अनथक पुरुष परंपरा के अप्रतिम उदाहरण है। लगभग एक करोड से अधिक लोगों को नशे की बेड़ियों से मुक्त करने वाले आप महान महापुरुष हैं।
मुनि मोक्ष कुमार जी ने अपने जीवन में आचार्य महाश्रमण जी के प्रसंग के साथ कविता प्रस्तुत की।
इसी क्रम में मुख्य वक्ता *महेंद्र कर्णावट* एवं मुख्य अतिथि महेंद्र ओस्तवाल ने आचार्य महाश्रमण अभ्यर्थना में अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का शुभारंभ जीविका चोरड़िया के मंगलाचरण से हुआ।
जसराज चोरड़िया, कमलेश सिरोहिया, करण सिंह सिंघवी , मीना बाबेल, आनंदबाला टोडरवाल, निर्मल गोखरू, मदन लाल टोडरवाल ने अपने विचार व्यक्त किए।
तेरापंथ महिला मंडल व भिक्षु भजन मंडली ने गीत के द्वारा अपने आराध्य की अभ्यर्थना की।
कार्यक्रम का संचालन मुनि प्रतीक कुमार जी ने किया।