नई दिल्ली:बंगाल, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों की जलजीवन मिशन में धीमी रफ्तार ने जलशक्ति मंत्रालय की चिंताएं बढ़ा दी हैं। मंत्रालय ने इन राज्यों से नए सिरे से काम की रफ्तार तेज करने के लिए कहा है कि ताकि 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में टैप वाटर से पेयजल की आपूर्ति का लक्ष्य हासिल करने में सहूलियत हो।
यूपी में 51 हजार से अधिक नए टैप वाटर कनेक्शन
मंत्रालय ने जेजेएम के अपने डैशबोर्ड में पाया है कि पिछले 24 घंटे में एक ओर उत्तर प्रदेश में 51 हजार से अधिक नए टैप वाटर कनेक्शन दिए गए, जबकि बंगाल में यह संख्या एक हजार भी नहीं है। इस अवधि में पूरे देश में 1.10 लाख कनेक्शन दिए गए हैं। इस लिहाज से उत्तर प्रदेश हर दिन पूरे देश में लगभग आधे कनेक्शन दे रहा है। उत्तर प्रदेश इस साल की शुरुआत से ही पूरे देश में प्रतिदिन लगभग 45 प्रतिशत कनेक्शन दे रहा है।
पिछड़े रहे राज्यों को काम तेज करने के लिए कहा गया
जलशक्ति मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे पिछड़े रहे राज्यों को फिर से जेजेएम के महत्व का एहसास कराया गया है और उनसे काम तेज करने के लिए कहा गया है। समस्या यह है कि इन राज्यों ने शुरुआत भी बहुत धीमी की थी। जल राज्यों का विषय है। मंत्रालय हर तरह से इनकी मदद के लिए तैयार है। केवल जेजेएम के तहत पानी के नए कनेक्शन देने के मामले में ही नहीं, बल्कि मंत्रालय की हाल में जारी स्वच्छ जल से सुरक्षा रिपोर्ट में भी कई अन्य मोर्चों पर इन राज्यों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है।
बिहार ने टैप वाटर कनेक्शन देने में लगभग 95 प्रतिशत कवरेज का किया दावा
उदाहरण के लिए स्वच्छ जल से सुरक्षा की ओवरऑल रैंकिंग में झारखंड 28वें, बंगाल 29वें, बिहार 31वें और राजस्थान 33वें स्थान पर रहा। बिहार ने टैप वाटर कनेक्शन देने में लगभग 95 प्रतिशत कवरेज का दावा किया है, लेकिन जमीन पर इसके क्रियान्वयन को लेकर सवाल भी खड़े हैं। इसी तरह स्त्रोत पर पानी की जांच गांव स्तर पर पानी के परीक्षण (रसायन और बैक्टीरिया), स्कूलों और आंगनबाड़ियों में परीक्षण, पानी की जांच के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने और उपाचारात्मक उपाय करने को लेकर समग्र गतिविधियों की रैंकिंग में भी झारखंड, बंगाल, बिहार और राजस्थान सबसे नीचे के स्थानों पर हैं। इन सभी कसौटियों में अलग-अलग इन राज्यों का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से काफी पीछे है। उदाहरण के लिए राष्ट्रीय स्तर पर 74.46 प्रतिशत गांवों में पानी की टेंस्टिंग की गई है, जबकि बिहार में केवल 26.12, राजस्थान में 40.16, बंगाल में 48.83 और झारखंड में 50.77 प्रतिशत गांवों को ही कवर किया जा सका है।
पंजाब में भी काम की रफ्तार हुई तेज, टॉप-टेन में है शामिल
रिपोर्ट के अनुसार, बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए स्त्रोत के स्तर पर पानी के परीक्षण में राष्ट्रीय औसत अगर 55.83 है तो बिहार 5.76 प्रतिशत, बंगाल, 19.68, राजस्थान 10.89 और झारखंड 12.76 प्रतिशत के साथ बहुत पीछे भी हैं और जेजेएम के क्रियान्वयन को पीछे धकेलने वाले भी। इसके विपरीत दक्षिण के राज्यों-तमिलनाडु, आंध्र, तेलंगाना लगातार इस योजना पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां तक कि पंजाब में भी काम की रफ्तार तेज हुई है और वह टॉप-टेन में शामिल है।