सरदारशहर, चूरु:जन-जन के मानस को आध्यात्मिक अभिसिंचन की गंगा अब सरदारशहर की धरा पर प्रवाहित होने लगी है। सरदारशहर के लाल, जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी की अमृतमयी वाणी से प्रवाहित होने वाली ज्ञानगंगा में सरदारशहरवासी गोते लगाकर अपनी वर्षों की प्यास को बुझा रहे हैं।
शुक्रवार को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी मंचासीन हुए तो चतुर्दशी होने के कारण गुरुकुलवासी समस्त चारित्रात्माओं की प्रवचन सभा में उपस्थिति थी। इन श्वेत रिश्मयों के मध्य आचार्यश्री किसी देदीप्यमान सूर्य की भांति नजर आ रहे थे। आचार्यश्री ने समुपस्थित जनता को पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि मानव के भीतर अनेक वृत्तियां विद्यमान होती हैं। इनमें दुर्वृत्तियां और सद्वृत्तियां दोनों होती हैं। इन दुर्वृत्तियों में एक है-गुस्सा। यह गुस्सा करने वाला का ही नुक्सान करता है। जिस तरह आलस्य मनुष्य के शरीर में रहने वाला शत्रु है, उसी प्रकार गुस्सा भी मनुष्य के भीतर रहने वाला बड़ा शत्रु है। यह आदमी के भीतर रहता है, कभी सामने प्रकट भी होता है और शरीर ही नहीं, आत्मा का भी नुक्सान कर देता है। गुस्से का बुरा प्रभाव आदमी के शरीर पर पड़ता है। जीवन में गुस्सा किसी काम का नहीं होता। गुस्सा परिवार में भी अच्छा नहीं होता, समाज में भी अच्छा नहीं होता, व्यापार आदि में भी गुस्सा किसी काम का नहीं होता। गुस्सा करने वाले को भला समाज में कौन उच्च स्थान देना चाहेगा। व्यापारी यदि गुस्सा करे तो उसके पास भला ग्राहक कब तक आ सकते हैं। परिवार में गुस्से की बात हो तो परिवार भी कितना चल सकता है। इसलिए आदमी को अपने गुस्से को नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।
साधु-साध्वियों के लिए तो गुस्सा होता ही नहीं है। साधु के लिए कहा गया है कि यदि कोई प्रतिकूल परिस्थिति भी जाए तो भी उसके लिए गुस्सा त्याज्य है। संत वह होता है, जो शांत होता है। आचार्य मघवागणी को वीतराग कल्प कहा गया। उन्हें कभी भी गुस्सा करते हुए नहीं देखा गया। सहन करना साधु का धर्म होता है। साधु-साध्वियों के समूह में भी शांति रहे। गुस्सा एक प्रकार की बीमारी है। इसके ईलाज के लिए आदमी को शांति की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। जो कार्य प्रेम से हो सकता है, वह गुस्से से नहीं हो सकता। इसके लिए आदमी को अपनी जबान को सुगर फैक्ट्री और दिमाग को आइस फैक्ट्री बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए।
हाजरी के क्रम में आचार्यश्री ने साधु-साध्वियों को विविध प्रेरणाएं प्रदान करते हुए कहा कि साधु के पांच महाव्रत पांच हीरे के समान हैं। चलते समय ईर्या समिति का ध्यान रखने का प्रयास हो। आचार्यश्री की अनुज्ञा से चार छोटी साध्वियों ने लेखपत्र का उच्चारण किया। तदुपरान्त मंचस्थ सभी चारित्रात्माएं जब लेखपत्र वाचन के लिए पंक्तिबद्ध हुए तो मानों सरदारशहर की धरती पर सरदारशहर के लाल की मंगल सन्निधि में अनायास ही मर्यादा महोत्सव का-सा दृश्य उपस्थित हो गया।
आचार्यश्री के मंगल प्रवचन से पूर्व साध्वीवर्याजी ने श्रद्धालुओं को उद्बोधित किया। कार्यक्रम में सरदारशहर से संबद्ध मुनि शुभंकरकुमारजी ने अपनी श्रद्धाभिव्यक्ति दी। मुमुक्षु निशा डागा, श्री सुमतिचंद गोठी, श्री दक्ष नखत ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। शाहरूख खां ने गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा सरदारशहर में आयोजित होने वाले दो दिवसीय तेरापंथ टास्क फोर्स कार्यक्रम के बैनर का अनावरण महासभा, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद, व प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों द्वारा पूज्यप्रवर के समक्ष किया गया। आचार्यश्री ने पावन आशीर्वाद प्रदान किया।