पटना:बिहार में मुख्यमंत्री डिजिटल स्वास्थ्य योजना लागू होगी। इस योजना से राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को आमजनों तक सुलभ करने में सुविधा मिलेगी। स्वास्थ्य सुविधाओं का डिजिटल तकनीक के माध्यम से अधिकतम लाभ प्राप्त करने में इससे मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में स्वास्थ्य विभाग के इस प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई।
मुख्यमंत्री डिजिटल स्वास्थ्य योजना को अगले पांच सालों में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए वित्तीय वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक के लिए 300 करोड़ की भी स्वीकृति दी गई। कैबिनेट बैठक में कुल 13 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। इस योजना के लागू होने से डिजिटल का उपयोग स्वास्थ्य सुविधाओं में बढ़ेगा। मरीजों के बेहतर और त्वरित इलाज में इसका लाभ मिलेगा। साथ ही स्वास्थ्य से संबंधित तमाम जरूरी सूचनाएं एक प्लेटफॉर्म पर रहेंगी।
शीघ्र ही स्वास्थ्य विभाग इस योजना को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करेगा। एक अन्य फैसले में षष्ठम केंद्रीय वेतनमान में वेतन-पेंशन प्राप्त कर रहे राज्य सरकार के कर्मचारियों और पेंशनधारियों को 196 प्रतिशत के स्थान पर 203 प्रतिशत महंगाई भत्ता मिलेगा। इस वृद्धि का लाभ एक जनवरी, 2022 के प्रभाव से कर्मियों को मिलेगा। वित्त विभाग जल्द ही महंगाई भत्ता के वृद्धि का आदेश जारी करेगा।
अंडरग्राउंड रास्ते के लिए 373 करोड़ खर्च होंगे
बिहार संग्राहलय से पटना संग्रहालय अंडरग्राउंड रास्ते से जोड़ने का काम दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन करेगी। इस पर 373 करोड़ खर्च होंगे। राज्य कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। मालूम हो कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि बड़ी संख्या में संग्राहलय को देखने लोग आते हैं। इस दोनों संग्रहालयों को भूमिगत रास्ते से जोड़ देने से जो भी बिहार संग्राहलय अथवा पटना संग्रहालय देखने आएंगे तो सुविधा से दोनों जगहों पर सुविधा से आ-जा सकेंगे।
सभी स्वास्थ्य संस्थानों में तैनात होंगे दंत स्वास्थ्य विज्ञानी
राज्य के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में दंत्त स्वास्थ्य विज्ञानी तैनात होंगे। इसके लिए 702 दंत स्वास्थ्य विज्ञानी (डेंटल हाईजिनिस्ट) के पदों के सृजन की स्वीकृति कैबिनेट ने दी है। इनकी तैनाती सदर, अनुमंडल, रेफरल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में की जाएगी।
एनएचएम के संविदा कर्मियों को ईपीएफ
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अंतर्गत राज्य स्तर से लेकर स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर तक संविदागत कर्मियों, जिनका मानदेय 15 हजार से अधिक है, का अधिकतम मानदेय 15 हजार मानते हुए सभी ऐसे कर्मियों को ईपीएफ योजना में शामिल किया जाएगा। कैबिनेट के इस फैसले से करीब 12 हजार कर्मियों को लाभ पहुंचेगा।