नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पश्चिम बंगाल प्राथमिक शिक्षा बोर्ड को 36 हजार प्राथमिक विद्यालय शिक्षकों का नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया गया था। शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के 32,000 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरियां रद्द करने के आदेश को निरस्त किया है। आरोप है कि इन शिक्षकों को कैश के बदले नौकरी मिली थी। कोर्ट ने उच्च न्यायालय को निर्देश दिया है कि अदालत उन सहायक शिक्षकों की शिकायतों पर शीघ्रता से विचार करे जिन्होंने दावा किया था कि आदेश ‘बिना उनकी बात सुने’ पारित किया गया था।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने कथित शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में 36,000 प्राथमिक शिक्षकों की नौकरी एक झटके में रद्द करने का आदेश दिया था। बाद में यह घटकर 32 हजार रह गई थी, क्योंकि बाद में कोर्ट के सामने यह तथ्य आया था कि अंकन की त्रुटि के कारण संख्या में गड़बड़ी हुई थी।
नए सिरे से चयन का निर्देश देने वाला उच्च न्यायालय का यह अंतरिम आदेश 12 मई को सिंगल बेंच द्वारा पारित किया गया था। बाद में इसे शिक्षकों ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी थी। 19 मई को, खंडपीठ ने शिक्षकों की बर्खास्तगी पर तो रोक लगा दी, लेकिन 12 मई के आदेश में हस्तक्षेप नहीं किया, जिसमें 36,000 प्राथमिक शिक्षक पदों पर नए सिरे से चयन करने का निर्देश दिया गया था। इसके बजाय, HC ने अगस्त के अंत तक चयन प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश पारित किया।
19 मई के आदेश के खिलाफ सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता शिक्षकों द्वारा उठाए गए सभी तर्कों पर उच्च न्यायालय विचार कर सकता है। इसने कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ से नए चयन के निर्देश पर रोक लगाते हुए अपीलों पर शीघ्रता से विचार करने का अनुरोध किया।
शीर्ष अदालत ने कहा, ”हमने एकल न्यायाधीश के निर्देशानुसार नए सिरे से चयन के निर्देश देने के अंतरिम आदेश (12 मई के) को रद्द कर दिया है।” कोर्ट ने आगे कहा, “इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि यह बड़ी संख्या में सहायक शिक्षकों के चयन और नियुक्ति से संबंधित मामला है, हम आशा और विश्वास करते हैं कि इस तरह के विवाद का जल्द से जल्द निपटारा किया जाना चाहिए।”
याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलों को खुला रखते हुए, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से अपीलों पर शीघ्रता से सुनवाई करने का अनुरोध किया। शिक्षकों के एक समूह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत को बताया कि एकल न्यायाधीश ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करते हुए नए चयन का निर्देश दिया। उन्होंने कहा, “हम सात साल से राज्य में काम कर रहे हैं और हमारी बात सुने बिना हमें बर्खास्त करने की मांग की जा रही है।”