मानगढ़:संसद सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पहली सार्वजनिक सभा के लिए बुधवार को राजस्थान पहुंचे। आदिवासी दिवस पर मानगढ़ धाम पहुंचकर उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के कैंपेन का एक तरह से आगाज कर दिया। राहुल गांधी ने एक तरफ आदिवासियों को लेकर 45 साल पुरानी कहानी सुनाकर उन्हें देश का असली मालिक बताया तो गहलोत सरकार के कुछ कामकाज भी गिनाए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट भी राहुल के साथ मंच पर मौजूद रहे। गहलोत और पायलट के बीच कराई गई सुलह के बाद यह पहला मौका था जब तीनों नेता किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में साथ दिखे। हालांकि, जिस तरह पायलट को किनारे वाली कुर्सी मिली उसके बाद एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
मंच पर राहुल गांधी के एक तरफ राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा थे तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा रहे। डोटासरा के ठीक बगल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी थी। सचिन पायलट मंच पर एक कोने में बैठे नजर आए। राहुल और पायलट के बीच में 6 कुर्सियों का फासला रहा। राजनीतिक जानकारों को यह इसलिए भी खटका क्योंकि इससे पहले अधिकतर कार्यक्रम में राहुल के एक तरफ पायलट और दूसरी तरफ गहलोत नजर आते थे। पुरानी तस्वीरों के साथ आज के कार्यक्रम की तुलना की जाने लगी। हालांकि, मंच से इतर पायलट राहुल गांधी के साथ चलते हुए नजर आए और दोनों के बीच कुछ देर तक बातचीत हुई।
संसद सदस्यता बहाल होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी पहली सार्वजनिक सभा के लिए बुधवार को राजस्थान पहुंचे। आदिवासी दिवस पर मानगढ़ धाम पहुंचकर उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के कैंपेन का एक तरह से आगाज कर दिया। राहुल गांधी ने एक तरफ आदिवासियों को लेकर 45 साल पुरानी कहानी सुनाकर उन्हें देश का असली मालिक बताया तो गहलोत सरकार के कुछ कामकाज भी गिनाए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ ही सचिन पायलट भी राहुल के साथ मंच पर मौजूद रहे। गहलोत और पायलट के बीच कराई गई सुलह के बाद यह पहला मौका था जब तीनों नेता किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में साथ दिखे। हालांकि, जिस तरह पायलट को किनारे वाली कुर्सी मिली उसके बाद एक बार फिर अटकलों का दौर शुरू हो गया है।
मंच पर राहुल गांधी के एक तरफ राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा थे तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा रहे। डोटासरा के ठीक बगल में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कुर्सी थी। सचिन पायलट मंच पर एक कोने में बैठे नजर आए। राहुल और पायलट के बीच में 6 कुर्सियों का फासला रहा। राजनीतिक जानकारों को यह इसलिए भी खटका क्योंकि इससे पहले अधिकतर कार्यक्रम में राहुल के एक तरफ पायलट और दूसरी तरफ गहलोत नजर आते थे। पुरानी तस्वीरों के साथ आज के कार्यक्रम की तुलना की जाने लगी। हालांकि, मंच से इतर पायलट राहुल गांधी के साथ चलते हुए नजर आए और दोनों के बीच कुछ देर तक बातचीत हुई।
पायलट ने नहीं लिया गहलोत का नाम
राजनीतिक विश्लेषक इस बात का भी जिक्र कर रहे हैं कि पायलट ने अपने संक्षिप्त भाषण में राहुल गांधी की खूब तारीफ की, लेकिन अशोक गहलोत का एक बार भी नाम नहीं लिया। संबोधन की शुरुआत में उन्होंने ‘सम्मानीय मुख्यमंत्री’ जरूर कहा। वह सरकार के कामकाज पर भी एकाध वाक्य ही बोले और कहा कि जिन राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं वहां कांग्रेस जीत हासिल करेगी। जिस तरह पायलट गहलोत पर बोलने से बचते रहे और सरकार का कोई कामकाज नहीं गिनाया उसको लेकर भी सवाल उठ रहा है क्या दोनों नेताओं के बीच मेल हो गया, लेकिन मिलाप होना बाकी है?
पांच साल तक कटुता के बाद ‘युद्धविराम’
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच मनमुटाव रहा। गहलोत सरकार में डिप्टी सीएम बनाए गए सचिन पायलट 2020 में बागवत को मजबूर हो गए। हालांकि, भाजपा में जाने की चर्चा के बीच आखिरी समय पर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उन्हें मना लिया था। लेकिन पायलट की कुर्सी चली गई। इसके बाद से गहलोत अपने पूर्व डिप्टी सीएम को लेकर काफी कटु रहे। कई बार उन्होंने सचिन पायलट को गद्दार और निकम्मा तक कह डाला था। पायलट भी अपने सरकार पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं चूकते थे। हाल ही में आलाकमान ने दोनों नेताओं के बीच सुलह कराई है। हालांकि, यह देखना बाकी है कि हाथ के साथ दोनों नेताओं के दिल भी मिल पाए हैं या नहीं।