जयपुर:राजस्थान में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा से दूरी बनाकर जेपी नड्डा और मोदी-अमित शाह के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है। बीजेपी के शीर्ष नेता वसुंधरा राजे को मनाने में जुट गए है। पार्टी सूत्रों के अनुसार उन्हें न सिर्फ अहम जिम्मेदारी दी जाएगी बल्कि पूरे चुनाव में उनकी जरूरत को पार्टी महसूस कर रही है। दरअसल जब बीजेपी ने राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव प्रबंधन कमिटी और संकल्प पत्र कमिटी की घोषणा की तो इस दोनों ही कमिटी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नाम नहीं था। वसुंधरा राजे को पूरी तरह से साइडलाइन कर दिया गया। आनन-फानन में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह को बयान देना पड़ा है कि वसुंधरा राजे जल्द ही परिवर्तन यात्रा में दिखाई देगी। सूत्रों के अनुसार वसुंधरा राजे अपने समर्थकों पर कार्रवाई करने से नाराज है। बीजेपी ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल को निलंबित कर दिया है।
वसुंधरा राजे सबसे लोकप्रिय चेहरा
पिछले दिनों आए सी वोटर के ओपेनियन पोल में बीजेपी की ओर से वसुंधरा राजे को सबसे लोकप्रिय चेहरा बताया गया था। राजस्थान में बीजेपी इन दिनों गहलोत सरकार के खिलाफ परिवर्तन यात्रा निकाल रही है। चारों दिशाओं में निकाली जा रही परिवर्तन यात्रा के आगाज के समय वसुंधरा राजे मौजूद रहीं। लेकिन इसके बाद वसुंधरा राजे ने दूरी बना ली है। चर्चा है कि विरोधी धड़े ने वसुंधरा कैंप को पूरी तरह से हाशिए पर डाल दिया है। इसलिए दूरी बना ली। बता दें परिवर्तन यात्रा पूरे प्रदेश में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से निकल रही है। सूत्रों के अनुसार 25 सितंबर को जयपुर में परिवर्तन यात्रा का समापन होगा। इस मौके पर पीएम मोदी जनसभा को संबोधित करेंगे। परिवर्तन यात्रा में बीजेपी के बड़े नेता शामिल हो रहे हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत परिवर्तन यात्रा में न केवल बढ़ चढ़कर भाग ले रहे हैं बल्कि अपने बयानों से जमकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि गजेंद्र सिंह शेखावत परिवर्तन यात्रा में पूरी तरह से छाए हुए है।
सतर्क हुई बीजेपी
राजस्थान में साल के अंत में चुनाव है। चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही दल प्रत्याशियों के चयन के लिए माथापच्ची कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि चुनाव से पहले वसुंधरा राजे की नाराजगी बीजेपी को कहीं भारी न पड़ जाए। वसुंधरा राजे समर्थक फिलहाल शांत है। लेकिन टिकट वितरण में अनदेखी होने पर असंतोष का ज्वाला फूट सकता है। सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि बीजेपी की 30 से 40 विधायकों का टिकट काटना चाहती है। ये सभी विधायक वसुंधरा राजे के समर्थक माने जाते हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बीजेपी अब वसुंधरा राजे जैसे सीनियर और जमीन पर पकड़ वाले नेताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती है। कर्नाटक में येदुरप्पा को नजरअंदाज करने का आरोप पार्टी के एक वर्ग ने लगाया जिस कारण पार्टी को वहां हाल के दिनों की सबसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा।