नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने विभिन्न मुद्दे उठाये जिनमें ”एक राष्ट्र, एक चुनाव”, ओडिशा में विधानपरिषद के गठन, प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत आवेदन की प्रक्रिया को आसान बनाने और बेघर बच्चों (स्ट्रीट चिल्ड्रेन) के पुनर्वास के मुद्दे शामिल थे।
शून्य काल में भारतीय जनता पार्टी के डॉ. डी पी वत्स ने ”एक राष्ट्र, एक चुनाव” का मुद्दा उठाया और कहा कि 1967 के बाद संविधान के अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त विधायक दल की सरकारों को कार्यकाल के बीच में ही बर्खास्त किया गया तथा इसके बाद देश में ‘एक राष्ट्र, लगातार’ चुनाव की स्थिति हो गई।
अलग अलग समय पर होने वाले चुनावों को देश के संसाधनों पर बड़ा भार बताते हुए वत्स ने कहा, ”राष्ट्र हित को मद्देनजर रखते हुए मैं सभी राजनीतिक दलों, वह चाहें सरकार में हों या विपक्ष में, से आग्रह करूंगा कि दस विषय पर एक आम सहमति बनाई जाए। इसके लिए कोई रास्ता निकाला जाए ताकि देश के संसाधनों पर भार कम हो और पांच साल में एक बार विधानसभा, लोकसभा और शहरी निकायों के चुनाव हों। ऐसा होता है तो देश हित में बहुत अच्छा होगा।”
ओडिशा में विधान परिषद के गठन की भी मांग
ओडिशा से बीजू जनता दल के सदस्य मुजीबुल्लाह खान ने राज्य में विधान परिषद के गठन के लिए केंद्र सरकार से आवश्यक कार्रवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि ओडिशा की विधान सभा ने इस आशय का संकल्प 2018 में सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र सरकार को भेजा। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों राज्यसभा में एक लिखित सवाल के माध्यम से इस प्रस्ताव की स्थिति की जानकारी मांगी गई तो सरकार की ओर से जवाब में कहा गया कि उसे इस संकल्प का कोई ऐसा दस्तावेज नहीं मिला है।
उन्होंने कहा, ”विधान सभा से संकल्प पारित होने के बाद भारत सरकार के पास कागज आया था। मंत्री महोदय कह रहे हैं कि वह कागज मिल नहीं रहा है।…मतलब कहीं गुमा दिये होंगे? यह तो बड़ी अजीब बात है। हम सब स्कूलों में पढ़ते थे तब कागज गुम हो जाया करते थे…यहां तो संसद में कागज गुम हो रहा है…सरकार में भी कागज गुम हो रहा है।” खान ने कहा कि इसके बाद विधान सभा के अध्यक्ष ने फिर से संकल्प संबंधी आवश्यक दस्तावेज की प्रति केंद्र सरकार को भेजी है। उन्होंने कहा, ”हमारा अनुराध है कि विधान परिषद गठन करने का जो संकल्प विधान सभा से पारित हुआ है, उसका सम्मान करते हुए आवश्यक कदम उठाइए।”
छत्तीसगढ़ से कांग्रेस की छाया वर्मा ने प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के तहत मिलने वाले लाभ के लिए आवेदन की प्रक्रिया को सरल बनाने और इसके लाभ का दायरा बढ़ाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत गर्भवती महिला को 5000 रुपये तक का लाभ मिलता है लेकिन सिर्फ 58 प्रतिशत जरूरतमंद ही इसका फायदा ले पा रहे हैं क्योंकि इसके आवेदन की प्रक्रिया बहुत कठिन है।
उन्होंने कहा, ”इस प्रक्रिया को आसान बनाया जाना चाहिए और गर्भपात के बाद दूसरे बच्चे की स्थिति में इस योजना फायदा दिया जाना चाहिए, जो अभी नहीं मिलता है।”
कांग्रेस की अमी याग्निक ने बेघर बच्चों का मामला उठाते हुए कहा कि सरकार को इनके आंकड़े इक्ट्ठे कर इनके पुनर्वास की व्यवस्था करनी चाहिए। उन्होंने सदन के सदस्यों से भी अनुरोध किया कि वे आगे आएं और ऐसे बच्चों के पुनर्वास में योगदान दें।
विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के गुलबर्गा में स्थित कर्मचारी राज्य बीमा निगम अस्पताल (ईएसआईसी) की जर्जर स्थिति का मुद्दा उठाते हुए इसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के रूप में विकसित करने की मांग की।
उन्होंने कहा, ”इस अस्पताल के प्रबंधन के लिए पैसे नहीं है। इसकी स्थिति दिन प्रतिदिन जर्जर होती जा रही है। आप हर राज्य में एम्स खोल रहे हैं। इस ईएसआईसी अस्पताल के पास 50 एकड़ जमीन उपलब्ध है। इसे एम्स में शामिल कर लेंगे तो करोड़ों लोगों को इसका फायदा मिलेगा।”
तृणमूल कांग्रेस के लुइझिनो फ्लेरियो ने प्रमुख बंदरगाह प्राधिकरण कानून को वापस लेने की मांग की। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से गोवा की नदियों व वहां के पर्यावरण का बहुत नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा, ”इस कानून को समाप्त करना गोवा के हित में है।”