नई दिल्ली:श्रीलंका में हालात बद से बदतर हो चुके हैं। इसी बीच श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सोमवार को कहा है कि मैं श्रीलंकाई एयरलाइंस के निजीकरण करने का प्रस्ताव करता हूं, जो इस समय घाटे में चल रही है। इसके अलावा प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य संकटग्रस्त देश को बचाना है। साथ ही उन्होंने श्रीलंका के लोगों को बताया है कि दैनिक बिजली कटौती दिन में 15 घंटे तक बढ़ सकती है और सिर्फ एक दिन के लिए पेट्रोल का स्टॉक देश के पास बचा है।
‘यह एक नुकसान है लेकिन हमें इसे सहन करना होगा’
दरअसल, श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री ने इशारों इशारों में देश की जनता को यह बता दिया है देश इस समय पाई-पाई को मोहताज है और इसे हल करने में काफी समय लग सकता है। उन्होंने कहा कि अकेले 2020-21 का नुकसान 45 बिलियन श्रीलंकाई रुपये के पार है। एयरलाइंस के निजीकरण का प्रस्ताव देते हुए उन्होंने कहा कि यह एक नुकसान है लेकिन हमें इसे सहन करना होगा। क्योंकि उनका उद्देश्य संकटग्रस्त देश को बचाना है।
पेट्रोल का स्टॉक खत्म होने के कगार पर
श्रीलंकाई पीएम ने कहा कि हम कई गंभीर चिंताओं का सामना कर रहे हैं। लंबी लंबी कतारों को आसान बनाने के लिए हमें अगले कुछ दिनों में लगभग 75 मिलियन अमरीकी डॉलर प्राप्त करने होंगे। फिलहाल हमारे पास सिर्फ एक दिन के लिए पेट्रोल का स्टॉक है। हाल ही में आए डीजल शिपमेंट से डीजल की कमी कुछ हद तक दूर हो जाएगी। इसके बावजूद भी यह नाकाफी साबित हो सकता है।
बिजली कटौती बढ़ाई जाएगी, गैस का भी संकट
उन्होंने लोगों को चेतावनी देते हुए कहा कि एक चौथाई बिजली तेल से पैदा होती है, इसलिए संभावना है कि दैनिक बिजली कटौती दिन में 15 घंटे तक बढ़ जाएगी। हालांकि हमने इस संकट को टालने के लिए कुछ पैसा प्राप्त कर लिया है। इसी प्रकार उपभोक्ताओं को गैस उपलब्ध कराने के लिए हमें तुरंत 20 मिलियन अमरीकी डालर प्राप्त करना चाहिए।
वैकल्पिक बजट पेश करने की योजना
रानिल विक्रमसिंघे ने कहा है कि हमने 2022 के प्रस्तावित विकास बजट के लिए एक नया वैकल्पिक बजट पेश करने की योजना बनाई है। इसे रियायती बजट के रूप में पेश करने का इरादा है। अल्पावधि में मुद्रास्फीति बढ़ने की भी संभावना है। इसके साथ ही हमें सरकारी वेतन का भुगतान करने के लिए पैसे प्रिंट करना जारी रखना होगा और आवश्यक जरूरतों के लिए भुगतान भी करना होगा।
दवा के लिए तत्काल भुगतान करने की जरूरत
वैसे तो श्रीलंका में दवाओं की कमी काफी समय से है लेकिन अब प्रधानमंत्री का कहना है कि हमें दवा के लिए तत्काल भुगतान करने की जरूरत है। साथ ही 14 आवश्यक दवाओं की कमी है। फिलहाल प्रधानमंत्री ने कहा कि बैंकों में डॉलर की कमी के कारण सरकार अब आवश्यक धन जुटाने के लिए अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है।
बता दें कि अपनी आजादी के बाद श्रीलंका अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। आर्थिक संकट के साथ ही वहां राजनीतिक संकट भी है। यह संकट पिछले कई सालों से पनप रहा था लेकिन हाल के वर्षों में हुए कुछ घटनाक्रमों ने वहां की स्थितियां और बिगाड़ दीं। हाल ही में प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा और लोग राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। अब रानिल विक्रमसिंघे ने प्रधानमंत्री पद संभाला है। वह काफी अनुभवी जरूर हैं लेकिन उनके सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं।