नई दिल्ली:बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च के जीडीपी आंकड़े जारी कर दिए गए हैं। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी-मार्च की अवधि में जीडीपी में 4.1 फीसदी की वृद्धि हुई। बता दें कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में 5.4 फीसदी की वृद्धि हुई थी।
पूरे वित्त वर्ष 2021-22 की बात करें तो ग्रोथ 8.7 फीसदी रही। ये आंकड़े कोविड -19 की तीसरी लहर और वैश्विक कीमतों में वृद्धि के कारण 28 फरवरी को जारी 8.9 फीसदी के आधिकारिक अनुमान से कम हैं।
मार्च तिमाही में सुस्ती की वजह क्या: ओमिक्रॉन और रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग की वजह से इस तिमाही में ग्रोथ रेट धीमी हो गई है। आपको बता दें कि जनवरी माह ओमिक्रॉन की वजह से प्रभावित था। इस माह में देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन जैसे हालात थे। वहीं फरवरी और मार्च माह में यूक्रेन-रूस जंग की वजह से भारत समेत ग्लोबली इकोनॉमी पर असर पड़ा है। इस जंग के बाद बदले माहौल में खपत से लेकर आपूर्ति तक प्रभावित हुआ है। इसका स्वाभाविक असर मार्च तिमाही के आंकड़ों पर दिखा है।
कोर सेक्टर के आंकड़े: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल माह में कोर सेक्टर में ग्रोथ 8.4 फीसदी रही। अप्रैल 2022 में कोयला, बिजली, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, सीमेंट और प्राकृतिक गैस उद्योगों का उत्पादन पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में बढ़ा है। आपको बता दें कि कोर सेक्टर में आठ प्रमुख क्षेत्र – कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली हैं।
आंकड़ों से पहले बाजार का मूड: जीडीपी के आंकड़े जारी होने से पहले निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया। इसके अलावा कच्चे तेल की कीमतों में उछाल से भी बाजार की धारणा पर असर पड़ा। इसका नतीजा ये हुआ कि शेयर बाजारों में तीन दिनों से जारी तेजी पर मंगलवार को विराम लग गया।
तीस शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 359.33 अंक यानी 0.64 प्रतिशत गिरकर 55,566.41 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 556.6 अंक तक लुढ़क गया था। इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 76.85 अंक यानी 0.46 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,584.55 अंक पर बंद हुआ।