कुलगाम:कश्मीर घाटी में हिंदू अल्पसंख्यकों की टारगेट किलिंग के मामले थम नहीं रहे हैं। मंगलवार को कुलगाम में जम्मू की रहने वाली एक शिक्षिका की स्कूल कैंपस में घुसकर आतंकियों ने हत्या कर दी। टीचर को आतंकियों ने गोलियां मारी थीं. जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी मौत हो गई। इस घटना के बाद एक बार फिर से कश्मीरी पंडित भड़क गए हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ दिन पहले ही बडगाम के चडूरा में कश्मीरी पंडित राहुल भट की भी तहसील दफ्तर में घुसकर हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद सरकार ने कड़ा ऐक्शन लेने की बात कही थी, लेकिन एक बार फिर से ऐसे ही हिंसा ने चिंताएं बढ़ा दी हैं।
पुलिस ने कहा कि शिक्षिका रजनी बाला हिंदू थीं और जम्मू के सांबा की रहने वाली थीं। यही नहीं पुलिस ने जल्दी ही उनकी मौत का बदला लेने की भी बात कही है। पुलिस अधिकारी ने कहा कि जल्दी ही आतंकियों की पहचान की जाएगी और उन्हें ढेर किया जाएगा। पुलिस ने कहा कि घटने वाली जगह को घेर लिया गया है और आतंकियों की तलाश की जा रही है। कुलगाम के एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘वह स्कूल परिसर में घुसी ही थीं, जो बागान के इलाके में हैं। तभी आतंकियों ने उन पर अटैक कर दिया।’ रजनी बाला को एससी-एसटी कोटा के तहत 2011 में कुलगाम में भर्ती मिली थी। उनके पति राज कुमार भी कुलगाम के ही मिरहामा में ही रहने वाले थे।
अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर कहा कि रजनी बाला के परिवार में अब सिर्फ उनके पति और उनकी बेटी बची है, जो स्कूल जाती है। परिवार लंबे समय से कुलगाम जिले में ही रह रहा था। रजनी बाला की हत्या से उनके सहकर्मी बेहद गम और गुस्से में हैं। इस साल की शुरुआत से ही लगातार कई घटनाएं हुई हैं, जिनमें प्रवासी मजदूरों, अल्पसंख्यक हिंदुओं या फिर मुस्लिम समुदाय के उन लोगों को निशाना बनाया गया है, जिन्होंने लोकतंत्र में भरोसा जताया। बीते 5 महीने में ही टारगेट किलिंग्स में 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 10 लोग जख्मी हुए हैं। इन आतंकी हमलों में मरने वाले लोगों में 4 सुरक्षा कर्मी भी शामिल हैं, जिनमें तीन मुस्लिम समुदाय से थे। इसके अलावा 6 स्थानीय मुस्लिम भी हैं। इनमें पंच, सरपंच और टीवी आर्टिस्ट शामिल हैं।
रजनी बाला की हत्या के बाद कश्मीरी पंडितों का गुस्सा और भड़क गया है। जो राहुल भट की हत्या के बाद से ही हिंदू समुदाय के कर्मचारियों को सुरक्षित स्थानों पर तैनात करने की मांग करते रहे हैं। 12 मई को राहुल भट की तहसील कार्यालय में घुसकर आतंकियों ने गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। इस हत्या के बाद कश्मीरी पंडित समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए थे। इन लोगों ने भाजपा और जम्मू कश्मीर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की थी। यही नहीं राहुल भट की फैमिली ने प्रशासन पर आरोप लगाया था कि यदि उनका सुरक्षित स्थान पर ट्रांसफर हो जाता तो यह घटना नहीं होती।