नई दिल्ली:हरियाणा और राजस्थान में राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस को क्रॉस वोटिंग का डर सताने लगा है। ऐसे में दोनों राज्यों के पार्टी विधायकों को सुरक्षित जगह भेजने की तैयारी की जा रही है। हरियाणा के विधायकों के लिए छत्तीसगढ़ में एक रिसार्ट बुक करा लिया गया है। जबकि, राजस्थान के विधायकों को उदयपुर के एक होटल में स्थानांतरित किया जाएगा। कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर गुरुवार को हरियाणा के विधायकों की दिल्ली में बैठक बुलाई है। ताकि, विधायकों से चर्चा कर उन्हें सुरक्षित जगह भेजा जा सके।
सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस नेता एवं विधायक कुलदीप विश्नोई पार्टी से नाराज चल रहे हैं। उन्हें मनाने की कोशिश की जा रही है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कुलदीप विश्नोई वोट नहीं करते हैं, तो भी कांग्रेस 30 विधायकों के बल पर उम्मीदवार को जिता सकती है। कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को यहां उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों के क्रॉस वोटिंग और वोट निरस्त कराने की वजह से निर्दलीय उम्मीदवार सुभाष चंद्रा जीत गए थे।
हरियाणा में दो सीटों पर तीन उम्मीदवार
हरियाणा में राज्यसभा की दो सीट पर चुनाव होने हैं और तीन उम्मीदवार मैदान में हैं। जीत के लिए 31 विधायकों की जरूरत है। भाजपा के पास अपने 41 विधायक हैं और उसके उम्मीदवार कृष्ण लाल पंवार 31 वोट हासिल कर आराम से जीत सकते हैं। कांग्रेस के पास भी 31 विधायक हैं और उसके उम्मीदवार अजय माकन भी पूरे वोट मिलने पर जीत जाएंगे। मगर, एक भी वोट खिसकने पर भाजपा व जजपा समर्थित उम्मीदवार निर्दलीय कार्तिकेय शर्मा के साथ मामला फंस जाएगा। चूंकि, कार्तिकेय के रिश्ते कांग्रेस में रहे हैं, उनके पिता एवं परिवार के लोग कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं। ऐसे में माकन के लिए भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं।
राजस्थान में भाजपा ने निर्दलीय सुभाष चंद्रा को समर्थन देकर कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार के लिए संकट बढ़ा दिया है। राज्य में जीत के लिए 41 विधायकों के वोट चाहिए। ऐसे में भाजपा के पास अपने एक उम्मीदवार को 41 वोट देने के बाद 30 वोट अतिरिक्त रहते हैं, जो निर्दलीय सुभाष चंद्रा को जाएंगे। ऐसे में चंद्रा अगर 11 वोट हासिल कर लेते हैं तो कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार हार जाएगा। कांग्रेस के पास अपने 108 विधायक हैं। यानी, उसे 15 और का समर्थन चाहिए। कांग्रेस का दावा 126 विधायकों के समर्थन का है, लेकिन सभी के समर्थन का भरोसा नहीं किया जा सकता है।