नोएडा। मस्तिष्क की बीमारी (सेरेब्रल पाल्सी) से पीड़ित वैभव गौतम ने शतरंज जैसे दिमागी खेल में अपने प्रतिभा का लोहा मनवाया और प्रतियोगिता में छा गए। असामान्य अवस्था में भी उन्होंने शतरंज के सामान्य खिलाड़ियों को मात दी। वैभव गौतम ने नोएडा ओपन इंटरनेशनल रेटेड रैपिड शतरंज प्रतियोगिता में नौ में से पांच मुकाबलों में जीत दर्ज की। एक मुकाबला ड्रॉ रहा।
मूलरुप से गाजियाबाद के शालीमार गार्डेन निवासी 24 वर्षीय वैभव गौतम वर्ष 2017 से पेशेवर शतरंज खेल रहे हैं। वह चलने में असमर्थ हैं। लिहाजा, व्हील चेयर पर बैठकर ही शतरंज खेलते हैं। पिता मनोज गुप्ता के सहयोग से उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया। अब वह सामान्य खिलाड़ियों के साथ राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। वह इशारों में ही अपनी बातें बताते हैं। रैपिड चेस में उनकी रेटिंग 1559 है। वहीं, क्लासिक चेस में वह 1651वें स्थान पर हैं।
रैपिड चेस में पिता करते हैं मदद
वैभव बीमारी के कारण कई बार वह शतरंज के मोहरे को पूरी तरह से नहीं बढ़ा पाते। बीच में मोहरे गिर जाते हैं। लिहाजा, उनके पिता मनोज गौतम उसे उठाकर उनके द्वारा बताए गए खाने में उसे रख देते हैं। वहीं क्लासिक चेस में समय की पाबंदी नहीं होती है। इन प्रतियोगिताओं में वह खुद मोहरों को खाने में रखते हैं।
काफी अच्छी गणना करते हैं वैभव
वैभव गौतम को बचपन में क्रिकेट देखने का शौक था। साथ ही वह स्ट्राइक रेट, रन रेट सहित मैच की कई गणना उंगलियों पर निकाल लेते थे। मां ऊषा गौतम और पिता मनोज गौतम को लगा कि बेटे को इससे संबंधित अन्य जानकारी भी देनी चाहिए। लिहाजा किशोरावस्था से वह बेटे के साथ शौकिया शतरंज खेलने लगे। वैभव शतरंज में लगातार अच्छा कर रहे थे। इसके बाद से परिवार ने उन्हें विभिन्न प्रतियोगिता में खेलने का मौका दिया। वैभव राष्ट्रमंडल शतरंज प्रतियोगिता भी खेल चुके हैं।
सेरेब्रल पाल्सी नामक बीमारी से पीड़ित
शतरंज खिलाड़ी वैभव गौतम सेरेब्रल पाल्सी (सीपी) नामक बीमारी से पीड़ित हैं। इस बीमारी के कारण उन्हें 95 प्रतिशत दिव्यांगता है। सेरेब्रल पाल्सी विकारों का एक समूह है, जो किसी व्यक्ति के चलने-फिरने, संतुलन और मुद्रा बनाए रखने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह जन्मजात बीमारी है। इस बीमारी में मांसपेशिया कमजोर हो जाती हैं, जिससे मस्तिष्क सहित शरीर के अन्य अंगों का विकास प्रभावित होता है। शरीर संतुलित नहीं रहता। ऐसे मरीजों को चलने-फिरने और बैठने की मुद्रा में समस्या होती है।
यह खेल बढ़ाता है याद्दाश्त
शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें खिलाड़ी को चालें याद रखने और सीखने की जरूरत होती है। ऐसे में यह गेम याद्दाश्त बढ़ाने में मदद करता है। जो लोग शतरंज खेलते हैं, उनकी सीखने की क्षमता तेजी से बढ़ती है। जब आप शतरंज खेल रहे होते हैं, तो आपके मस्तिष्क को लगातार चुनौती का सामना करना पड़ता है।