नई दिल्ली:अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग को लेकर दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट ने पद छोड़ने का फैसला केजरीवाल पर छोड़ा है। हालांकि, कोर्ट ने एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि कहा कि कई बार व्यक्तिगत हित से ऊपर राष्ट्रहित को रखना होता है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल शराब घोटाले से जुड़े केस में जेल में बंद हैं। वह जेल से ही सरकार चलाने पर अड़े हैं।
एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने हिंदू सेना प्रमुख विष्णु गुप्ता की ओर से दायर पीआईएल को खारिज कर दिया। गुप्ता ने केजरीवाल की मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तारी का हवाला देकर उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। कोर्ट जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि यह केजरीवाल का व्यक्तिगत फैसला होगा कि उन्हें बने रहना चाहिए या नहीं। कोर्ट ने केजरीवाल पर फैसला छोड़ते हुए यह भी कहा, ‘कभी-कभी, व्यक्तिगत हित को राष्ट्र हित के अधीन रखना पड़ता है।’
अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर फैसला नहीं ले सकती है यह दिल्ली के एलजी या भारत के राष्ट्रपति को करना है। कोर्ट ने कहा, ‘हम कैसे घोषणा कर सकते हैं कि सरकार नहीं चल रही है। एलजी यह फैसला लेने में पूरी तरह सक्षम हैं। उन्हें हमारे गाइडेंस की आवश्यकता नहीं है। हम उन्हें सलाह नहीं दे सकते हैं। कानून के मुताबिक उन्हें जो करना है वह करेंगे।’ कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिका का समाधान एलजी या राष्ट्रपति के पास है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता उनसे प्रार्थना कर सकते हैं। इसके बाद गुप्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली।