नई दिल्ली। कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलेगी या फिर उनकी आफत बरकरार रहेगी? यह सवाल अभी बना हुआ है। सोमवार को देश की सबसे बड़ी अदालत में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने केजरीवाल की दलीलें सुनी। इस मामले में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। इससे पहले केजरीवाल को हाई कोर्ट से झटका लगा था। दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराया था।
जस्टिस खन्ना ने अरविंद केजरीवाल की ओर से हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा कि क्या उन्होंने ट्रायल कोर्ट के सामने जमानत की अर्जी नहीं दी है? इस पर सिंघवी ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं किया है। जज ने कहा, ‘आप गिरफ्तारी के और रिमांड का विरोध कर रहे हैं। मैं जानना चाहता हूं कि जमानत की अर्जी क्यों नहीं दी।’ इसके जवाब में सिंघवी ने कहा, ‘क्योंकि गिरफ्तारी अवैध है।’ ईडी की तरफ से पेश हुए एएसजी एसवी राजू ने कहा कि उन्होंने (केजरीवाल) कस्टडी का विरोध नहीं किया है।
सिंघवी ने कहा कि दिसंबर 2023 तक 10 दस्तावेजों (सीबीआई चार्जशीट और ईडी की शिकायत) में मेरा नाम नहीं था। सिंघवी ने कहा कि गिरफ्तारी की कोई आवश्यकता नहीं थी। सिंघवी ने एक बार फिर केजरीवाल की गिरफ्तारी को चुनाव से जोड़ा और कहा कि आचार संहिता लागू होने के बाद ऐसा किया गया। केजरीवाल ने कहा कि मार्च 24 तक ना तो उन्हें आरोपी बनाया गया और ना ही संदिग्ध।
सिंघवी ने कहा कि सेक्शन 50 के तहत कई बयान दर्ज किए गए जिनमें उनका नाम नहीं था। उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा भी उठाया। केजरीवाल की ओर से कहा गया कि बीएसआर रेड्डी ने 17 बयान दिए और अप्रैल में नाम लिया। शरत रेड्डी ने 9 बयान दिए जिनमें मेरे खिलाफ कोई आरोप नहीं था। इन्हें अनरिलाइड डॉक्युमेंट में डाल दिया गया। आप 9 बयान को नजरअंदाज करते हैं और 10वें पर भरोसा करते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए। सिंघवी ने कहा, ‘आप चुन-चुनकर कार्रवाई करते हैं। यह चूहे बिल्ली का खेल है।’
सिंघवी ने कहा कि एमएसआर ने दिसंबर 2022 से जुलाई 2023 के बीच बयान दिए तो गिरफ्तारी मार्च 2024 में क्यों हुई। सिंघवी ने कहा कि केजरीवाल कोई आतंकवादी नहीं हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें घर से गिरफ्तार किया गया। सेक्शन 50 के तहत बयान दर्ज नहीं किया गया। सिंघवी ने कहा, ‘अधिकतम आपके पास शरत रेड्डी का बयान है। यदि मैं सेक्शन 50 के तहत बयान ना देखूं, विश्वास का कोई कारण नहीं बनता।’ इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि केवल यही दोष बताने के लिए काफी नहीं है।
इससे पहले केजरीवाल ने देश की सबसे बड़ी अदालत से कहा था कि इस मामले में उनकी ‘अवैध गिरफ्तारी’ ‘स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव’ और ‘संघवाद’ पर आधारित लोकतंत्र के सिद्धांतों पर एक अभूतपूर्व हमला है। इस मामले में गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर दायर ईडी के जवाबी हलफनामे के प्रत्युत्तर में केजरीवाल ने कहा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उनकी गिरफ्तारी का तरीका और समय एजेंसी की ‘मनमानी’ के बारे में बहुत कुछ कहता है। उन्होंने कहा है कि उनकी गिरफ्तारी ऐसे समय हुई जब चुनाव से संबंधित आदर्श आचार संहिता लागू हो गई थी।