नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल का गिरफ्तारी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने का फैसला निजी है, लेकिन इसका आशय यह नहीं कि छात्रों के मौलिक अधिकारों को रौंद दिया जाए। कोर्ट ने कहा, राष्ट्रीय हित और सार्वजनिक हित की मांग है कि मुख्यमंत्री पद पर रहने वाला कोई भी व्यक्ति लंबे समय तक या अनिश्चित समय के लिए अनुपस्थित न रहे।
हाईकोर्ट ने केजरीवाल को नसीहत देते हुए कहा कि दिल्ली जैसी व्यस्त राजधानी ही नहीं किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री का पद कोई औपचारिक पद नहीं है। यह ऐसा पद है जहां पदधारक को प्राकृतिक आपदा या संकट से निपटने के लिए 24 घंटे और सातों दिन उपलब्ध रहना पड़ता है।
कोर्ट ने कहा, चूंकि एमसीडी स्कूलों के छात्र संवैधानिक और वैधानिक अधिकारों के अनुसार मुफ्त किताब, लेखन सामग्री और ड्रेस के हकदार हैं, इसलिए नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया जाता है कि वे पांच करोड़ रुपये की व्यय सीमा से बाधित हुए बिना दायित्व पूरा करने के लिए आवश्यक व्यय करने के लिए कार्रवाई करें।
निगम को किताबें, ड्रेस खरीदने का अधिकार दिया : हाईकोर्ट ने दिल्ली नगर निगम आयुक्त को एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तक, ड्रेस, नोटबुक, लेखन सामग्री आदि पर खर्च करने का अधिकार दे दिया है। अदालत ने कहा कि यह कहना कि आदर्श आचार संहिता के दौरान कोई अहम निर्णय नहीं लिया जा सकता अनुपयुक्त है।
हाईकोर्ट एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के बाद भी एमसीडी के स्कूलों में छात्रों को शैक्षिक सामग्री न मिलने का मुद्दा उठाया गया था।