कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीते सोमवार को पूर्व न्यायाधीश और भाजपा के सिंबल पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे अभिजीत गांगुली के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी के बड़े भाई कृष्णेंदु अधिकारी को कथित रूप से परेशान करने के लिए एगरा उप-विभागीय पुलिस अधिकारी पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था।
आपको बता दें कि गांगुली मार्च में बीजेपी में शामिल हुए थे। वह शुभेंदु अधिकारी के गृह जिले पूर्वी मिदनापुर के लोकसभा सीट तमलुक से भगवा पार्टी के उम्मीदवार हैं। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने माना कि गांगुली का आदेश राज्य सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए उचित अवसर दिए बिना पारित किया गया था। पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति अवांछनीय थी।
पीठ ने रजिस्ट्री को कृष्णेंदु की याचिका को जून में नए सिरे से सुनवाई के लिए उचित अदालत में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया और पुलिस द्वारा उन्हें भेजे गए नोटिस पर रोक लगा दी।
आपको बता दें कि एगरा पुलिस ने नोटिस भेजकर कृष्णेंदु अधिकारी को पूर्वी मिदनापुर में मेचेदा-दीघा बाईपास पर खराब रोशनी के मामले में गवाह के रूप में पूछताछ में भाग लेने के लिए कहा था। कृष्णेंदु ने नवंबर 2023 में हाईकोर्ट के पूर्व जज की अदालत का रुख किया और नोटिस को रद्द करने के लिए याचिका दायर की। पुलिस ने अपनी सीमा से परे जाकर उन्हें 10 साल के आयकर रिटर्न के साथ पूछताछ में भाग लेने के लिए कहा था।
गांगुली ने कृष्णेंदु की याचिका को स्वीकार कर लिया और उसी दिन एगरा एसडीपीओ पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश पारित किया। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “यह उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है। पुलिस बल किसी नागरिक को परेशान करने के लिए नहीं बनाया गया है।”
सोमवार को राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने एक अपील दायर की। उन्होंने याचिका में कहा, “वकील द्वारा कोई प्रस्तुतीकरण नहीं किया गया। आदेश में कुछ भी दर्ज नहीं किया गया। जिस दिन याचिका अदालत में पहुंची उसी दिन आदेश पारित कर दिया गया।”