नई दिल्ली। केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अंतरिम जमानत देने की मांग का ईडी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कड़ा विरोध किया। मेहता ने कहा कि यदि उन्हें (केजरीवाल) अंतरिम जमानत दी जाती है तो एक गलत मिसाल कायम होगी। इससे यह विचार आएगा कि राजनेता का एक अलग वर्ग है। उन्होंने कई निजी कंपनियों के प्रबंध निदेशकों और जेलों में बंद अन्य लोगों के मामलों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने 9 मौकों पर ईडी के समन को टाला। अब उन्हें बहाने के रूप में चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
केजरीवाल के बारे में सवाल नहीं पूछे
एसवी राजू ने शीर्ष अदालत को बताया कि केजरीवाल जिस बयान को अपने लिए ‘दोषमुक्ति’ वाला मान रहे हैं, वह बिल्कुल भी प्रासंगिक नहीं। मामले की जांच के शुरुआती चरण में केजरीवाल के बारे में गवाहों से सवाल नहीं पूछे गए क्योंकि वह ईडी की जांच का केंद्र बिंदु नहीं थे। यदि शुरू में ही गवाहों के सामने उनका नाम रख दिया होता, तो इसे दुर्भावनापूर्ण कहा जाता।
दलील पर संदेह
ईडी की इस दलील पर अपना संदेह व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह विधायी जनादेश का अनुपालन करता है। प्रथम दृष्टया देखने के लिए सामग्री के दो सेट हैं। ‘एक दोषमुक्त करने वाला और एक फंसाने वाला’ तो क्या जांच एजेंसी चुनिंदा रूप से एक सेट चुन सकती है? वहीं, ईडी ने कहा कि मामले में आरोपी सिसोदिया की जमानत खारिज होने के बाद 1100 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। इस पर जस्टिस खन्ना ने सवाल किया कि पहले आपने कहा था कि अपराध की आय 100 करोड़ थी, यह इतना कैसे बढ़ गई।
चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं
जस्टिस खन्ना ने कहा, चुनाव पांच साल में एक बार होते हैं, जबकि फसलों की कटाई हर छह माह में होती है। उन्होंने यह टिप्पणी सॉलिसिटर जनरल मेहता की उस दलील के मद्देनजर की, जिसमें उन्होंने केजरीवाल की तुलना जेल में बंद अन्य कैदियों से की। मेहता ने कहा कि केजरीवाल को अंतरिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए। इससे गलत संदेश जाएगा।