जयपुर:प्रियंका गांधी समर्थक आचार्य प्रमोद कृष्णम ने खेलमंत्री अशोक चांदना के इस्तीफे की पेशकश को आधार बनाकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर निशाना साधा है। आचार्य प्रमोद ने ट्वीट कर लिखा- खराबी इंजन में है। आप डिब्बे बदलने की मांग कर रहे हो। अपने दूसरे ट्वीट में आचार्य प्रमोद ने लिखा- राजस्थान में सच बोलना पाप है प्रभु, आपको भी पायलट समर्थक मान लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ब्यूरोक्रेसी के रवैये से नाराज होकर खेलमंत्री अशोक चांदना ने ट्वीट कर इस्तीफे की पेशकश कर दी है। उल्लेखनीय है कि आचार्य प्रमोद सचिन पायलट के समर्थन में कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान भी बयान देकर सुर्खियों में आए थे।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के चिंतन शिविर के दौरान प्रियंका गांधी के नजदीकी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सचिन पायलट के साथ नाइंसाफी होने का बयान दिया था। कांग्रेस चिंतन शिविर में पॉलिटिकल कमेटी में इनवाइट मेंबर आचार्य प्रमेाद कृष्णम ने कहा- 2018 में जब विधानसभा चुनाव हुए तब प्रदेशाध्यक्षों को मुख्यमंत्री बनाया गया था। पंजाब में अमरिंदर सिंह प्रदेशाध्यक्ष थे तो उन्हें सीएम बनाया गया। एमपी में कमलनाथ प्रदेशाध्यक्ष थे उन्हें सीएम बनाया, छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल प्रदेशाध्यक्ष थे। उन्हें सीएम बनाया लेकिन राजस्थान में उस समय कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। सचिन पायलट के साथ थोड़ी नाइंसाफी तो हुई है। अब मुझे पूरा भरोसा है कि कांग्रेस नेतृत्व उनके साथ इंसाफ करेगा।
खेलमंत्री अशोक चांदना गहलोत गुट के मंत्री माने जाते हैं। साल 2020 में जब पायलट कैंप ने बगावत की थी उस समय चांदना ने गहलोत कैंप का साथ दिया था। अशोक चांदना की नाराजगी सीएम गहलोत के लिए परेशानी का सबब बन सकती है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आज ही मीडिया से बात करते हुए कहा कि नौकरशाही के प्रति मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी होगी तो संज्ञान लिया जाएगा। आज देर रात ट्वीट कर खेल मंत्री अशोक चांदना ने नौकरशाही के प्रति खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है। विधायकों की नौकरशाहों के प्रति लगातार जताई जा रही नाराजगी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि विधायिका और कार्यपालिका दोनों सिक्के के दो पहलू हैं। अगर किसी भी विधायक को या जनप्रतिनिधि को लगता है कि नौकरशाह सही से काम नहीं कर रहे हैं तो सरकार का कायदा होता है कि चाहे मुख्यमंत्री हों या मंत्री, इस पर संज्ञान लेते हैं।