हिंदू धर्म में दोनों पक्ष की चतुर्थी तिथि भगवान श्रीगणेश को समर्पित मानी गई है। हर चतुर्थी का अलग महत्व होता है। आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। इस साल विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 13 सितंबर, मंगलवार को है। मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है व मनोकामना पूरी होती है। जानें संकष्टी चतुर्थी पर बनने वाले शुभ योग, शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजन विधि-
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे शुभ योग-
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जिसके कारण इस दिन का महत्व बढ़ रहा है। चतुर्थी तिथि के दिन सुबह 07 बजकर 37 मिनट तक वृद्धि योग रहेगा। इसके बाद ध्रुव योग शुरू होगा। सुबह 06 बजकर 36 मिनट से अगले दिन सुबह 06 बजकर 05 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इन सभी योग को ज्योतिष शास्त्र में बेहद शुभ माना गया है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी महत्व-
चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। भगवान गणेश प्रथम पूजनीय देव हैं। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से ही होती है। भगवान गणेश को प्रसन्न करना काफी आसान होता है।
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2022 शुभ मुहूर्त-
हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 13 सितंबर को सुबह 10 बजकर 37 मिनट से आरंभ होगी। जो कि 14 सितंबर, बुधवार को सुबह 10 बजकर 23 मिनट तक रहेगी।
संकष्टी चतुर्थी पूजा- विधि
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
गणपित भगवान का गंगा जल से अभिषेक करें।
भगवान गणेश को पुष्प अर्पित करें।
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दूर्वा घास चढ़ाने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
भगवान गणेश को सिंदूर लगाएं।
भगवान गणेश का ध्यान करें।
गणेश जी को भोग भी लगाएं। आप गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग भी लगा सकते हैं।
इस व्रत में चांद की पूजा का भी महत्व होता है।
शाम को चांद के दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें।
भगवान गणेश की आरती जरूर करें।