नई दिल्ली:केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को दिल्ली के गंभीर वायु प्रदूषण पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि हर बार राजधानी में आने से पहले वह सोचते हैं कि यहां आना चाहिए या नहीं। गडकरी ने कहा, “अगर मैं दो दिन दिल्ली में रहता हूं तो मुझे संक्रमण हो जाता है। हर बार दिल्ली आते हुए लगता है कि जाना चाहिए या नहीं। इतना भयंकर प्रदूषण है।” गडकरी ने यह बयान ‘ऊर्जा संक्रमण और टिकाऊ सड़क परिवहन’ पर आयोजित एक कार्यक्रम में दिया। उन्होंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली का गंभीर वायु प्रदूषण यहां के लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदूषण के प्रति जागरूकता की कमी अभी भी बनी हुई है।
उन्होंने गांवों से दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे बड़े शहरों की ओर हो रहे बड़े पैमाने पर पलायन को कई समस्याओं का कारण बताया। गडकरी ने कहा, “दिल्ली में कई जगह पानी बहता दिखता है, लेकिन वह केवल सीवेज का पानी है।”
प्रदूषण कम करने के सुझाव
गडकरी ने कहा कि वायु प्रदूषण को कम करने का सबसे अच्छा तरीका जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) के उपयोग को घटाना और बायो-सीएनजी और अन्य वैकल्पिक ईंधनों को अपनाना है।
कूड़े के ढेर पर भी बिफरे
गडकरी ने दिल्ली के चार पुराने लैंडफिल साइट्स को पर्यटक स्थल करार देते हुए कहा कि यह स्थिति शहर के लिए शर्मनाक है। उन्होंने कहा, “पिछले चार वर्षों में इन स्थलों के प्रोसेस्ड मटीरियल का उपयोग राजमार्ग परियोजनाओं में करने की कोशिश की, लेकिन संबंधित एजेंसियों ने कई मुद्दे उठाए जिनमें कचरे का पृथक्करण (सेग्रेगेशन) भी शामिल है।”
गडकरी ने जानकारी दी कि अब तक इन कचरा स्थलों से 80 लाख टन प्रोसेस्ड मटीरियल का उपयोग राजमार्ग परियोजनाओं में किया जा चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि सोमवार को उन्होंने दिल्ली नगर निगम (MCD) आयुक्त और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की थी। एमसीडी ने कचरे के पृथक्करण और प्रोसेसिंग के लिए निविदाएं (बिड्स) जारी की हैं।
नितिन गडकरी के इस बयान ने दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण और कचरा प्रबंधन की विफलताओं की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उनकी सलाह है कि वैकल्पिक ईंधनों को अपनाकर और स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को प्राथमिकता देकर प्रदूषण के खिलाफ ठोस कदम उठाए जाएं।