मुंबई:महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद अब बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। भाजपा ने बायकुला में प्रस्तावित उर्दू भवन के निर्माण का विरोध तेज कर दिया है। पूर्व नगरसेवक भालचंद्र शिरसाट ने बीएमसी आयुक्त को पत्र लिखकर उर्दू भाषा अध्ययन केंद्र के प्रस्ताव को रद्द करने की मांग की। शिरसाट ने अपने पत्र में कहा कि बायकुला क्षेत्र में पहले से ही 12 उर्दू स्कूल मौजूद हैं, इसलिए उर्दू भाषा केंद्र की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने इस जमीन पर एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) स्थापित करने का आग्रह किया है।
डीसीपीआर 2034 के अनुसार, बायकुला का की यह जमीन शिक्षण संस्थानों के लिए आरक्षित है। इससे पहले इसे बेघर लोगों के आश्रय के लिए आरक्षित किया गया था। 2011 में इस जमीन पर एक आईटीआई बनाने का प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसे विभिन्न सरकारी स्तरों से मंजूरी भी मिली थी। हालांकि, 2021 में कोरोना महामारी के दौरान बीएमसी की ऑनलाइन बैठक में आईटीआई के प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया था।
शिरसाट ने आरोप लगाया कि यह निर्णय बिना उचित कानूनी प्रक्रिया के लिया गया। उन्होंने कहा, “बीएमसी द्वारा लीज रद्द करने की प्रक्रिया में लिखित स्पष्टीकरण, सुनवाई और सुधार समिति की मंजूरी की आवश्यकता होती है। लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
स्थानीय विरोध और कानूनी लड़ाई
इसके बाद उर्दू भाषा केंद्र के निर्माण का प्रस्ताव आया, जिसे बीएमसी के ई-वॉर्ड के सहायक आयुक्त ने मंजूरी दी। लेकिन स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध किया और बीएमसी के आईटीआई प्रस्ताव को रद्द करने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई। आपको बता दें कि उर्दू भवन का निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुका है और ग्राउंड प्लस एक मंजिल का ढांचा बन चुका है। हालांकि, वर्तमान में यह निर्माण रोक दिया गया है क्योंकि मामला अदालत में लंबित है।
भाजपा का रुख
भालचंद्र शिरसाट ने कहा, “हम भवन निर्माण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन उर्दू भाषा केंद्र के निर्माण का विरोध करते हैं। इस क्षेत्र में युवाओं के कौशल विकास के लिए एक तकनीकी संस्थान बनाया जाना चाहिए।” इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी ने कहा, “उर्दू भवन पर काम कुछ महीने पहले रोक दिया गया है। हम सभी पक्षों से चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लेंगे।”
आपको बता दें कि पिछले साल भी विधानसभा सत्र के दौरान विधायक मिहिर कोटेचा ने उर्दू केंद्र के निर्माण का विरोध किया था। इस विवाद के बीच आगामी बीएमसी चुनावों से पहले यह मुद्दा फिर से राजनीतिक रंग ले रहा है।