हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत अधिक महत्व होता है। हर महीने दो एकादशी व्रत होते हैं। होली से पहले यानी होलाष्टक पर रंगभरी एकादशी पड़ती है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को रंगभरी एकादशी कहते हैं। इस दिन से होली खेलने का सिलसिला शुरू हो जाता है। खासकर वाराणसी में इसका खास महत्व है। एक तरफ जहां मथुरा में होली से पहले लट्ठमार होली खेली जाती है, वहीं काशी विश्वनाथ वाराणसी में इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती को रंग और अबीर लगाया जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन बाबा विश्व नाथ माता गौरा का गोना कराकर पहली बार काशी आए थे। इसलिए काशी में रंगभरी एकादशी पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। इसलिए रंगभरी एकादशी के दिन घर पर भी भगवान शिव और माता पार्वती को जल से अभिषेक कराकर बेल पत्र अर्पित करने चाहिए। इसके बाद शिव परिवार को अबीर और गुलाल और विभिन्न रंगों के फूल अर्पित करने चाहिए।
इस बार रंगभरी एकादशी 2 मार्च को पड़ रही है। एकादशी तिथि 2 मार्च को सुबह 06:39 बजे शुरू होगी और 3 मार्च को सुबह 09:11 ए एम बजे समाप्त हो जाएगी। इसलिए 2 मार्च को एकादशी व्रत शुभ है। इसके अलावा द्वादशी तिथि पर इसका पारण सुबह 9 बजे से पहले कर लिया जाएगा।