बुढ़वा मंगल भाद्रपद मास के अंतिम मंगलवार को मनाया जाता है। इस साल यह तिथि 6 सितंबर को पड़ रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, बुढ़वा मंगल का त्योहार हनुमान जी के वृद्ध या बूढ़े रूप को समर्पित है। इसे बूढ़े मंगल के नाम से भी जानते हैं।
बुढ़वा मंगल का महत्व-
यह दिन बजरंगबली के भक्तों के लिए बेहद खास माना गया है। इस दिन हनुमान भक्त व्रत, पूजन, व्रत कथा पढ़ने या सुनने के अलावा भजन-कीर्तन करते हैं। मान्यता है कि बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान जी की विधिवत पूजा करने से सभी प्रकार के कष्ट व बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
हनुमान जी को प्रसन्न करने का उपाय-
मान्यता है कि बुढ़वा मंगल के दिन हनुमान जी को चोला अर्पित करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा इस दिन बजरंगबाण और हनुमान चालीसा का पाठ करना लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से बजरंगबली अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड, अखंड रामायण आदि के पाठ कराए जाते हैं।
बुढ़वा मंगल का इतिहास-
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भीम को अपने शक्तिशाली होने पर अभिमान हो गया था। भीम के घमंड को तोड़ने के लिए हनुमान जी ने एक बूढ़े बंदर का भेष धारण कर उनका घमंड तोड़ा था। यही दिन आगे चलकर बुढ़वा मंगल कहा जाने लगा। एक अन्य कथा के अनुसार, रामायण काल में भाद्रपद महीने के आखिरी मंगलवार को हनुमान जी सीता माता की खोज में लंका पहुंचे। हनुमान जी की पूंछ में रावण ने आग लगा दी। हनुमानजी ने अपने विराट स्वरूप को धारण कर लंकापति रावण का घमंड तोड़ा था।
यह आलेख धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है।