डेस्क:बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में हिंदुओं के हालात पर अपनी चिंता व्यक्त की है। इस्कॉन के पुजारी चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए शेख हसीना ने कहा कि यह बहुत ही अन्याय पूर्ण कार्य है। अंतरिम सरकार को उन्हें तुरंत ही रिहा कर देना चाहिए। इसके साथ ही शेख हसीना ने बांग्लादेश में जारी मानवाधिकारों के उल्लंघनों को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि चट्टग्राम में वकील की हत्या में जो भी लोग शामिल हैं उन्हें पकड़कर कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
हसीना की पार्टी आवामी लीग की तरफ से फेसबुक पर पोस्ट किए गए इस बयान के अनुसार, हसीना ने कहा कि सनातन धार्मिक संस्था के एक बड़े नेता को बेहद ही अन्याय पूर्ण तरीके से गिरफ्तार किया गया है, उनकी तुरंत ही रिहाई होनी चाहिए। इसके अलावा चट्टग्राम में अपने काम को करने गए एक वकील की दौड़ा-दौड़ाकर हत्या कर दी गई। इस घटना को अंजाम देने वाले लोग कहीं से भी इंसान नहीं है वह आतंकवादी है उन्हें तुरंत ही पकड़कर कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
बांग्लादेश की वर्तमान अंतरिम सरकार की कार्यक्षमताओं पर सवाल उठाते हुए शेख हसीना ने कहा कि असंवैधानिक तरीके से सत्ता हथियाने वाली अंतरिम सरकार सभी मोर्चों पर असफल नजर आ रहे हैं। वह न तो दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण स्थापित कर पा रहे हैं और न ही बांग्लादेशी नागरिकों के जीवन की सुरक्षा सुनिश्चित कर पा रहे हैं। अगर वह इन दोषियों को सजा देने में भी सफल नहीं हो पाती तो उसे घोर मानवाधिकार उल्लंघन की सजा का सामना करना पड़ेगा।
बांग्लादेशी नागरिकों से अपील करते हुए शेख हसीना ने कहा कि मैं देश के लोगों से ऐसे उग्रवाद और आतंकवाद के खिलाफ खड़े होने की अपील करती हूं। हमारे देश में हमारे नागरिकों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। फिर वह चाहे किसी भी धर्म या पंथ के हों।
बांग्लादेश में अन्य जगहों पर धार्मिक आधार पर हुई हिंसा कि निंदा करते हुए हसीना ने कहा कि चटगांव में एक मंदिर को जला दिया गया। इससे पहले अहमदिया समुदाय की मस्जिदों को भी जलाया गया था, चर्चों, मठों और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों के घरों को भी निशाना बनाया गया। यह सब बहुत ही गलत है। अंतरिम सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए। देश में सभी समुदायों की धार्मिक स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा बहुत जरूरी है। यह किसी भी तरीके से सही नहीं है कि धर्म के आधार पर किसी को नुकसान पहुंचाया जाए।
गौरतलब है कि बांग्लादेश में इस्कॉन के पुजारी चिन्मय प्रभु दास की गिरफ्तारी ने दुनियाभर का ध्यान अपनी ओर खींचा था। विदेश मंत्रालय ने भी इस घटना की निंदा करते हुए अपनी चिंता व्यक्त की थी। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को दिए आधिकारिक बयान में कहा था कि हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार भी शामिल है।
हालांकि इस्कॉन ने दास के बयानों से खुद को अलग कर लिया है। लेकिन दास की गिरफ्तारी एक ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में धार्मिक तनाव अपने चरम पर है। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ गए हैं। इसे लेकर पूरे बांग्लादेश में हिंदु संगठन विरोध प्रदर्शनों में शामिल हो रहे हैं। चिन्मय दास की गिरफ्तारी पर अंतरिम सरकार की तरफ से कहा गया है कि उन्हें हिंदू होने की वजह से नहीं बल्कि देशद्रोह के आरोप की वजह से गिरफ्तार किया गया है।