जयपुर:राजस्थान में इस बार सरकार रिपीट करने के लिए कांग्रेस आलाकमान गहलोत के एक दर्जन मंत्रियों का टिकट काट सकता है। चर्चा है कि प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने ऐसे मंत्रियों को इशारा भी कर दिया है। इन मंत्रियों के कामकाज को लेकर सरकार औऱ संगठन स्तर पर सर्वे किए गए है। इन के खिलाफ अपने-अपने क्षेत्र में जबर्दस्त सत्ता विरोधी लहर है। पार्टी के एक हलके में चर्चा है यह है कि कांग्रेस इस बार प्रदेश में सरकार रिपीट कर मिथक को तोड़ना चाहती है। इसके लिए कुछ भी करने के लिए तैयार है। चर्चा यह है भी है कि कांग्रेस आलाकमान कर्नाटक पैटर्न की तरह चुनाव लड़ेगा। जिसमें सिर्फ जिताऊ और टिकाऊ उम्मीदवार को ही टिकट दिया जाएगा। बता दें गहलोत के पिछले दो कार्यकाल में 70 फीसदी मंत्रियों को हार का सामना करना पड़ा था।
पूर्वी राजस्थान में मंत्रियों की स्थिति नाजुक
राजनीतिक जानकारों का कहना है इस बार पूर्वी राजस्थान में बीजेपी कड़ी टक्कर में है। पिछली बार दौसा, अलवर, भरतपुर, करौली, धौलपुर औैर सवाई माधोपुर जिले में कांग्रेस को बंपर सीट मिली थी, लेकिन इस बार हालात बदले हुए दिखाई दे रहे हैं। इन जिलों में दो को छोड़कर गहलोत के सभी मंत्रियों को सर्वे रिपोर्ट खराब बताई जा रही है। दौसा जिले में कड़े संघर्ष में गहलोत के दो मंत्री फंसे हुए है। जबकि अलवर जिले में दोनों मंत्रियों को सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ रहा है। कमोबेश एक मंत्री को छोड़कर भरतपुर जिले दो मंत्रियों से भी जनता नाराज है।
सीएम गहलोत मिशन मोड पर
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं। सीएम गहलोत अपनी सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी योजनाओं के सहारे सत्ता वापसी का दाव कर रहे हैं। सीएम गहलोत इन दिनों देव दर्शन पर है। विभिन्न सामाजिक संगठनों की मांगों को धड़ल्ले से पूरी भी कर रहें है। सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम गहलोत ने मिशन 2030 का दांव चलकर बीजेपी के मुश्किल में डाल दिया है। इन दिनों की सीएम का फोकस जमीनी स्तर पर ज्यादा है। काम भी दिखाई दे रहा है। सियासी जानकारों का कहना है कि गहलोत सरकार वापसी कर सकती है। हालांकि, बीजेपी प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा के माध्यम से गहलोत सरकार को निशाने पर ले रही है। चारों दिशाओं से परिवर्तन यात्रा निकाली जा रही है।