बेंगलुरु। लोकायुक्त पुलिस मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूमि आवंटन मामले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए ‘कानूनी स्पष्टीकरण’ मांग रही है। यह जानकारी सूत्रों ने बृहस्पतिवार को दी। कर्नाटक की एक विशेष अदालत ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) भूखंड आवंटन मामले में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के खिलाफ बुधवार को लोकायुक्त पुलिस से जांच कराने का आदेश दिया। इसके साथ ही उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का रास्ता साफ हो गया।
विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट्ट के इस आदेश से एक दिन पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय ने इस मामले में सिद्धारमैया के खिलाफ जांच कराने की राज्यपाल थावरचंद गहलोत की मंजूरी को बरकरार रखा था। इस मामले में एमयूडीए द्वारा सिद्धारमैया की पत्नी बी एम पार्वती को 14 भूखंड आवंटित करने में अनियमितताएं बरतने का आरोप है।
लोकायुक्त पुलिस के एक सूत्र ने बताया, ‘‘हमने अभी तक मामला दर्ज नहीं किया है। कुछ कानूनी स्पष्टीकरण मांगे जा रहे हैं, क्योंकि विशेष अदालत ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत आदेश पारित किया है, जबकि उसे शायद भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के तहत प्रक्रिया का पालन करते हुए आदेश पारित करना चाहिए था।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें कानूनी तौर पर बीएनएसएस के तहत मामला दर्ज करना है, लेकिन अदालत का आदेश सीआरपीसी के तहत है, इसलिए स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है।’’ एमयूडीए मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक स्नेहमयी कृष्णा ने बृहस्पतिवार को चिंता व्यक्त की क्योंकि कोई मामला दर्ज नहीं किया गया। स्नेहमयी कृष्णा की याचिका के आधार पर अदालत ने लोकायुक्त पुलिस को सिद्धारमैया के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि लोकायुक्त पुलिस अदालत के आदेश का पालन नहीं कर रही है और मैसूरु लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक टी जे उदेश से ‘‘संपर्क नहीं हो पा रहा है।’’
पूर्व एवं निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों से संबंधित विशेष अदालत ने मैसूरु में लोकायुक्त पुलिस को जांच शुरू करने का निर्देश देते हुए आदेश जारी किया। एमयूडीए भूखंड आवंटन मामले में आरोप सिद्धारमैया की पत्नी बी. एम. पार्वती को कथित तौर पर मुआवजे के तौर पर मैसूरु के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित किए जाने से जुड़ा है, जिसका संपत्ति मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था जिसे एमयूडीए ने ‘‘अधिग्रहीत’’ किया था।
एमयूडीए ने पार्वती की 3.16 एकड़ जमीन के बदले में उन्हें 50:50 के अनुपात से भूखंड आवंटित किये थे जहां उसने आवासीय लेआउट विकसित किये थे। इस विवादास्पद योजना के तहत एमयूडीए ने उन लोगों को 50 प्रतिशत विकसित जमीन आवंटित की थी जिनकी अविकसित जमीन आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए ली गयी थी। आरोप है कि मैसूरु तालुक के कसाबा होबली के कसारे गांव के सर्वे नंबर 464 में स्थित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था।