डेस्क। छत्तीसगढ़ के केएसके महानदी पावर के अधिग्रहण की जंग दिलचस्प होती जा रही है। दरअसल, इसके लिए गौतम अडानी समूह की तरफ से 12,500 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई गई थी। इसके बाद अब अन्य बोलीदाता भी अपनी पेशकश संशोधित करने की योजना बना रहे हैं। ऐसे में अनुमान है कि बोली का अंतिम आंकड़ा बहुत अधिक हो सकता है।
क्या होगा फायदा
केएसक महानदी पावर के ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) की तरफ से बोली को चुनौती देने वाली व्यवस्था शुरू किए जाने के बाद गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) की पूरी वसूली हो जाने की उम्मीद है। हालांकि दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत संचालित कार्यवाही में ऐसा हो पाना मुश्किल है।
अडानी समूह की वजह से संभव
आईबीसी व्यवस्था से जुड़े सूत्रों ने केएसके महानदी को लेकर दिलचस्पी जगाने का श्रेय अडानी समूह को दिया है। अडानी समूह ने इस संकटग्रस्त कंपनी के लिए 12,500 करोड़ रुपये की शुरुआती ऊंची बोली लगाई है। यह बोली दूसरे स्थान पर मौजूद बोलीदाता की तुलना में 4,800 करोड़ रुपये यानी 62 प्रतिशत अधिक है। इसका नतीजा यह निकला है कि एनटीपीसी समेत 10 बोलीदाताओं में से छह ने अब अडानी समूह की लगाई बोली के आसपास के संशोधित प्रस्ताव पेश किए हैं। यह मजबूत प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है जिससे एसेट प्राइस भी बढ़ेगा।
अडानी की प्रतिस्पर्धी बोली केएसके महानदी के 10,000 करोड़ रुपये के कथित कैश रिजर्व और 4,000 करोड़ रुपये की व्यापार प्राप्तियों को जोड़कर करीब 27,000 करोड़ रुपये हो जाती है। इसका मतलब है कि कर्जदाताओं को बकाया कर्ज के 92 प्रतिशत की वसूली हो सकती है।
केएसके महानदी की क्षमता
छत्तीसगढ़ में स्थित केएसके महानदी की स्थापित क्षमता 1,800 मेगावाट है। करीब 29,330 करोड़ रुपये के कर्ज बोझ वाली इस परियोजना को 2019 में दिवाला समाधान प्रक्रिया में लाया गया था। इस प्रक्रिया में अडानी पावर के अलावा जेएसडब्ल्यू एनर्जी, जिंदल पावर, वेदांता, एनटीपीसी और कोल इंडिया जैसी दिग्गज कंपनियां शामिल थीं। लेकिन उनकी बोलियां 6,500 करोड़ रुपये से 7,700 करोड़ रुपये के बीच थीं। इसके बाद कर्जदाताओं की समिति ने बोली चुनौती व्यवस्था अपनाने का फैसला किया। नई व्यवस्था के तहत बाकी दावेदारों ने बढ़ी हुई बोलियां लगाई हैं।