बताया जा रहा है कि अंबाह के बड़फरा गांव निवासी पूजाराम जाटव अपने दो साल के बेटे राजा को एंबुलेंस के जरिए अंबाह अस्पताल से रेफर कराकर जिला अस्पताल में लाये थे। एनीमिया और पेट में पानी भरने की बीमारी से ग्रसित राजा ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
अंबाह अस्पताल से राजा को लेकर जो एंबुलेंस आई वह तत्काल लौट गई। राजा की मौत के बाद उसके गरीब पिता पूजाराम ने अस्पताल के डॉक्टर व स्टाफ से शव को गांव ले जाने के लिए वाहन की बात कही तो, यह कहकर मना कर दिया कि शव ले जाने के लिए अस्पताल में कोई वाहन नहीं है। भाड़े की गाड़ी कर लो।
अस्पताल परिसर में खड़ी एंबुलेंस के किसी संचालक ने एक तो किसी ने डेढ़ हजार रुपये किराये के तौर पर मांगे। पूजाराम के पास इतनी रकम नहीं थी, इसलिए वह अपने बेटे राजा के शव को लेकर अस्पताल के बाहर आ गये। उनके साथ में आठ साल का बेटा गुलशन भी था। अस्पताल के बाहर भी कोई वाहन नहीं मिला। इसके बाद गुलशन को नेहरू पार्क के सामने, सड़क किनारे बने नाले के पास बैठाकर पूजाराम सस्ती रेट में वाहन तलाशने चला गया।
करीब एक घंटे तक आठ साल का गुलशन अपने दो साल के भाई के शव को गोद में लेकर बैठा रहा। इस दौरान उसकी नजरें टकटकी लगाए सड़क पर पिता के लौटने का इंतजार करती रहीं। कभी गुलशन रोने लगता तो कभी अपने भाई के शव को दुलारने लगता। सड़क पर राहगीरों की भीड़ लग गई, जिसने भी यह द्श्य देखा उसकी रूह कांप गई। कई लोगों की आंखें से आंसू बह निकले। सूचना मिलने पर कोतवाली टीआइ योगेंद्र सिंह जादौन आए। उन्होंने मासूम गुलशन की गोद से उसके भाई को शव उठवाया और दोनों को जिला अस्पताल ले गए।
वहां गुलशन का पिता पूजाराम भी आ गया। उसके बाद एंबुलेंस से शव को बड़फरा भिजवाया गया। रोते हुए पूजाराम ने बताया कि उसके चार बच्चे हैं। तीन बेटे व एक बेटी, जिनमें राजा सबसे छोटा था। पूजाराम के अनुसार, उसकी पत्नी तुलसा तीन महीने पहले घर छोड़कर अपने मायके डबरा चली गई है। वह खुद ही बच्चों की देखभाल करता है।