नई दिल्ली:कॉमनवेल्थ गेम्स में दो बार की चैंपियन भारतीय वेटलिफ्टर संजीता चानू पर पिछले साल डोप परीक्षण में असफल रहने के कारण राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अनुशासन पैनल ने चार साल का प्रतिबंध लगाया है। संजीता पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में गुजरात में राष्ट्रीय खेलों के दौरान परीक्षण में एनाबॉलिक स्टेरॉयड – ड्रोस्तानोलोन मेटाबोलाइट के लिए पॉजिटिव पाई गई थीं, जो विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। प्रतियोगिता के दौरान 30 सितंबर 2022 को डोप परीक्षण के लिए उनका नमूना लिया गया था।
चैतन्य महाजन की अध्यक्षता वाले नाडा पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ”यह माना जाता है कि खिलाड़ी ने नाडा एडीआर, 2021 के अनुच्छेद 2.1 और 2.2 का उल्लंघन किया है, इसलिए उसे नाडा एडीआर, 2021 के अनुच्छेद 10.2.1 के अनुसार चार (04) वर्ष के लिए प्रतिबंधित किया जाता है।” संजीता का प्रतिबंध 12 नवंबर 2022 से शुरू होगा जब उन्हें अस्थाई रूप से निलंबित किया गया था। आदेश के अनुसार, ”निलंबन की अवधि अस्थाई रूप से निलंबित किए जाने की तारीख 12 नवंबर 2022 से शुरू मानी जाएगी। यह खिलाड़ी पैनल को यह संतुष्ट करने में नाकाम रही कि एडीआरवी नाडा एडीआर 2023 के अनुच्छेद 10.2.1.1 के अनुसार गैर-इरादतन था।”
यह संजीता के लिए बड़ा झटका है। उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में रजत पदक जीता था जिसे छीन लिया गया है। इस नए घटनाक्रम पर उनकी प्रतिक्रिया नहीं ली जा सकी। संजीता ने 2014 में ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों में 48 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने 2018 में गोल्ड कोस्ट में 53 किग्रा भार वर्ग में सोने का तमगा हासिल किया था। मणिपुर की इस खिलाड़ी के पास अभी फैसले के खिलाफ अपील करने का विकल्प है लेकिन यह तय नहीं है कि वह ऐसा करेंगी या नहीं। वह फैसला मिलने के 21 दिन तक नाडा के अपीली पैनल में अपील कर सकती हैं।
संजीता ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष स्वयं रखा था। उन्होंने जानबूझकर प्रतिबंधित दवा लेने से इनकार किया था। उन्होंने कहा था कि भोजन और पूरक पदार्थ लेने में उन्होंने पूरी सतर्कता बरती थी। पैनल ने कहा, ”मौजूदा मामला व्यवस्थित डोपिंग का मामला प्रतीत होता है जहां खिलाड़ी ने प्रतिबंधित पदार्थ का इस्तेमाल किया था।” पैनल ने कहा, ”ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि खिलाड़ी ने मिलावटी भोजन, पूरक या दवा के माध्यम से इस तरह के प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया है। इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि खिलाड़ी ने ताकत और शक्ति बढ़ाने के लिए जानबूझकर उक्त प्रतिबंधित पदार्थ का सेवन किया।”
पैनल के अन्य सदस्यों में पूर्व हॉकी खिलाड़ी जगबीर सिंह और आरके आर्य शामिल थे। यह पहला अवसर नहीं है जबकि 2011 की एशियाई चैंपियनशिप की कांस्य पदक विजेता को डोपिंग से जुड़े विवाद का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले नवंबर 2017 में अमेरिका में विश्व चैंपियनशिप से पहले एनाबॉलिक स्टेरॉयड टेस्टोस्टेरोन के लिए पॉजिटिव पाए जाने पर अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन महासंघ ने 2018 में उन्हें प्रतिबंधित किया था। विश्व संस्था ने हालांकि 2020 में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया था। संजीता ने जनवरी में पीटीआई से कहा था,” मैं पहले भी इस तरह की स्थिति से गुजर चुकी हूं लेकिन मेरी समझ में यह नहीं आ रहा है कि यह कैसे हुआ। इस घटना से पहले तक मैं अपने खाने और हर काम को लेकर काफी सतर्क थी। मैंने अपने पूरक आहार को लेकर भी सतर्कता बरती थी और मैंने पूछा था क्या वह डोप मुक्त हैं।”