नई दिल्ली। अदालत का दरवाजा खटखटाने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है और अगर कोई लोगों को ऐसा करने से रोकता है तो इसके उसे गंभीर परिणाम होंगे, दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को यह टिप्पणी की। कोर्ट ऐसा इसलिए कहा क्योंकि आम आदमी पार्टी (आप) के लीगल सेल ने जिला और हाईकोर्ट परिसर में केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। इसके खिलाफ दाखिल एक वकील की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की।
वकील वैभव ने कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन को लेकर दाखिल शिकायत में कहा था कि अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कोर्ट को युद्ध का मैदान बनाना सही नहीं है। एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा, ‘बेहतर होगा कि आप समझ जाएं। बहुत से लोग बहुत सी बातें कहते रहते हैं। यदि कोर्ट परिसर में प्रदर्शन किया जाता है तो वे इसके जोखिम सहने के लिए तैयार रहें। इसके गंभीर परिणाम होंगे। अदालत आने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। किसी को इससे रोका नहीं जा सकता। अगर किसी ने आम लोगों को रोका तो इसके बहुत गंभीर परिणाम होंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून लागू किया जाएगा। अदालतों को रोका नहीं जा सकता।’ पीठ में जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा भी शामिल थे।
वकील वैभव सिंह ने अपनी याचिका में अदालत परिसर में आप के राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध प्रदर्शन के अवैध आह्वान पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। सिंह ने कहा कि कोई भी अदालत परिसर में विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकता। अपनी याचिका में सिंह ने कहा था कि आजकल राजनीतिक दलों के लिए हड़ताल, विरोध के आह्वान के लिए कानूनी सेल के सदस्यों को शामिल करना एक चलन बन गया है। बता दें कि आप के लीगल सेल ने सीएम अरविंद केजरीवाल की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ 27 मार्च को दिल्ली की सभी जिला अदालतों में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।