भोपाल:मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण को लेकर सुनवाई फिर टल गई। 16 अगस्त को होने वाली सुनवाई 22 अगस्त को नियत कर दी गई है। ओबीसी आरक्षण के पक्ष में चयनित शिक्षकों ने कुल 63 याचिका दायर की हैं। जिसकी आज सुनवाई होनी थी। लेकिन डबल बेंच ना बैठने के कारण सुनवाई टाल दी गई है।
दरअसल 16 अगस्त को ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई थी। जिसमें सरकार का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को हाईकोर्ट पहुंचना था। लेकिन तुषार मेहता हाईकोर्ट नहीं पहुंच पाएं । इससे पहले 25 जुलाई और 1 अगस्त को होने वाली सुनवाई में भी सॉलिसिटर जनरल हाईकोर्ट नहीं पहुंच पाए थे।
बता दें कि इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी को 27 या 14 प्रतिशत आरक्षण देने के कानूनी पहलू पर पिछले तीन साल से बहस चल रही है। हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर कुल 63 याचिकाएं विचाराधीन हैं। कुछ याचिकाएं ओबीसी उम्मीदवारों की ओर से दायर की गई हैं।
साथ ही इसके कुछ याचिकाएं सामान्य उम्मीदवारों की ओर से दायर की गई हैं। जिनमें ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण का विरोध किया गया है। इनमें पीएससी, शिक्षक भर्ती, समेत कई विभागों की नियुक्तियों में कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण देने को कहा है।
इससे पहले एमपी सरकार ने हाईकोर्ट के निर्देश पर ओबीसी का डाटा पेश किया था। इससे पहले तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने जनसंख्या का डेटा प्रस्तुत किया था। जिसके बाद शिवराज सरकार ने प्रतिनिधित्व का डेटा पेश किया। उक्त डेटा में कुल स्वीकृत पदो की संख्या 3,21,944 में से ओबीसी वर्ग को मात्र 43,978 पद अर्थात 13.66% आरक्षित बताया गया है। यह डेटा हाईकोर्ट में प्रस्तुत किए जा चुके हैं।
जानकारी के अनुसार एमपी में 1994 से पहली बार ओबीसी को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया गया था। लेकिन तत्कालीन कमलनाथ ने कांग्रेस सरकार में इसे 27 प्रतिशत कर दिया था। और बादमे हाईकोर्ट में कई याचिकाएं लगाई गई। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण से संबंधित कई मामले विचाराधीन हैं।