वर्ष भर में चार नवरात्र आती हैं। शारदीय नवरात्र के बाद चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण है। इस बार चैत्र नवरात्र 22 मार्च से शुरू हो रही है। 22 से 30 मार्च तक पूरे नौ दिन मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी। नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा जिनती महत्ता रखती है। मां का आगमन और गमन की सवारी का भी उतना ही महत्व है। इस वर्ष मां का आगमन और गमन दोनों ही शुभ संकेत दे रहे हैं। इस बार देवी का आगमन 22 मार्च को हो रहा है। देवी पुराण के अनुसार मां दुर्गे का आगमन अगर बुधवार को हो, तो वह नौका पर सवार होकर आती हैं। नौका पर सवारी का तात्पर्य है सर्व कार्य की सिद्धि। अर्थात मां की आराधना करनेवालों के सभी कार्य सिद्ध होंगे। वहीं इस वर्ष देवी दुर्गा का गमन गुरुवार को हो रहा है। गुरुवार को मां भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं, जो सुख और सौभाग्य की वृद्धि करती है। इसका असर राष्ट्र पर भी पड़ता है। राष्ट्र में सुख, समृद्धि और मान-प्रतिष्ठा की वृद्धि होगी।
इस वर्ष नहीं हो रहा किसी भी तिथि का क्षय: इस चैत्र नवरात्र किसी भी तिथि का क्षय नहीं हो रहा है। सभी नौ दिन मां देवी को समर्पित हैं। नवरात्रि के पहले दिन 22 मार्च को घट स्थापना की जाएगी। पंडित रमेशचंद्र त्रिपाठी बताते हैं कि कलश को भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर देवी पूजन के समय उन्हें प्रत्यक्ष रूप से स्थापित की जाती है। कलश स्थापना का मुहूर्त भी अतिमहत्पपूर्ण है। सही काल, योग और मुहूर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए। चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च की रात 10.53 बजे हो रही है, जबकि प्रतिपदा तिथि का समापन 22 मार्च की रात्रि 8.21 बजे होगा। उदया तिथि में 22 मार्च को कलश की स्थापना की जाएगी।