जयपुर:राजस्थान विधानसभा चुनावों में भाजपा स्पष्ट बहुमत से सरकार बनाने की ओर बढ़ रही है। राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा के 71 उम्मीदवार जीत चुके हैं जबकि 44 सीट पर पार्टी प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने अब तक केवल 39 सीटों पर ही जीत दर्ज की है। भारत आदिवासी पार्टी (बीएपी) ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की है। भाजपा की कद्दावर नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे झालरापाटन सीट से जीत गई हैं। चुनाव नतीजों पर गौर करें तो पाते हैं कि भाजपा ने कांग्रेस के एससी और एसटी समुदाय के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगाकर गहलोत सरकार को हराने का काम किया है।
कांग्रेस के पारंपरिक वोट बैंक में लगाई सेंध
ऐसा माना जाता है कि जो पार्टी सबसे ज्यादा आरक्षित सीटें जीतती है, वही राजस्थान में सरकार बनाती है। राज्य की 200 विधानसभा सीटों में से 59 सीटें अनुसूचित जाति (34) और अनुसूचित जनजाति (25) के लिए आरक्षित थीं। इस चुनाव में एससी की 34 सीटों में से बीजेपी ने 22 पर जीत दर्ज की है जबकि कांग्रेस को 11 सीटों से संतोष करना पड़ा है। एससी के लिए आरक्षित एक सीट पर निर्दलीय ने चुनाव जीता है। इसी तरह 25 एसटी सीटों में से बीजेपी ने 12 पर कब्जा किया है जबकि कांग्रेस को 10 सीटें ही मिली हैं। वहीं एसटी के लिए आरक्षित 3 सीटों पर भारत आदिवासी पार्टी यानी BAP ने जीत दर्ज की है।
कहां किसका दबदबा
वैसे अनुसूचित जाति की आबादी पूरे राज्य में फैली हुई है लेकिन उत्तरी राजस्थान में हनुमानगढ़, गंगानगर और बीकानेर जैसे जिलों में सघनता अधिक है। पश्चिमी और मध्य राजस्थान में अनुसूचित जाति की आबादी भी अच्छी खासी है। दक्षिणी राजस्थान में एससी आबादी कम है। दक्षिणी राजस्थान में उदयपुर, डुंगुरपुर और बांसवाड़ा जैसे जिले शामिल हैं। दक्षिणी राजस्थान की 35 विधानसभा सीटों में से केवल दो ही एससी के लिए आरक्षित हैं। हालांकि इस क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति की सघनता अधिक है।
क्या रहा है इतिहास?
आंकड़े बताते हैं कि सूबे में एससी/एसटी के लिए आरक्षित 59 सीटों में से साल 2008 में कांग्रेस ने 34, बीजेपी ने 15 एवं अन्य ने 10 सीटें जीती थीं। साल 2013 में कांग्रेस को 4, बीजेपी को 50 एवं अन्य के खाते में 5 सीटें आई थीं। 2018 में कांग्रेस ने 32 और बीजेपी ने 20 सीटें जीतीं थी जबकि 7 पर अन्य ने बाजी मारी थी। EC के आंकड़ों के अनुसार, चुनाव में एससी/एसटी के लिए आरक्षित 59 विधानसभा सीटों में से 50 पर जीत हासिल करने वाली भाजपा 2018 के विधानसभा चुनाव में केवल 21 सीटें ही बरकरार रख सकी।
क्यों पहुंची चोट?
साल 2018 के चुनाव नतीजों में भाजपा ने एससी आरक्षित श्रेणी की 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि एसटी के लिए आरक्षित नौ सीटों पर उसे जीत मिली थी। साल 2018 में कांग्रेस ने एससी के लिए आरक्षित 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी और एसटी के लिए आरक्षित 12 सीटों पर कब्जा जमाया था। विश्लेषक नारायण बारेठ ने कहा कि क्षेत्रीय एवं अन्य के लड़ने के कारण मतों में विभाजन हुआ है। इससे कांग्रेस को नुकसान पहुंचा है। इन चुनाव नतीजों से यह भी साबित किया है कि भाजपा अपने वोट बैंक को बरकरार रखने में सफल रही है।